नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बीजेपी से ज्यादा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर ज्यादा हमला करता है। वहीं राहुल के हमलों को देखा जाए तो 2019 के लोकसभा चुनावों में वो अपने हमले और ज्यादा तेज कर सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिरक पीएम मोदी को मिल रहे जनाधर के आगे राहुल ने अब अपना ध्यान बीजेपी से हटाकर संघ पर केंद्रीत कर लिया है। राहुल के आलोचक अक्सर उनको अनिच्छुक राजकुमार के नाम से बुलाते हैं। लेकिन जिम्मेदारी लेने से दूर रहते हैं। वहीं अमेठी से सांसद राहुल ने इस हफ्ते संघ पर सबसे तेज हमला किया है। राहुल ने ये हमला जेडीयू के बागी नेता शरद यादव के कार्यक्रम में किया है।
बता दें कि यहां राहुल ने आरएसएस पर हमला करते हुए कहा कि आरएसएस को पता है कि वो अपनी विचार धारा से चुनाव नहीं सकते। इसलिए उन्होंने चुनाव जीतने का नया तरीका निकाला है और संस्थाओं में अपने लोग बैठाने शुरू कर दिए। क्योंकि आरएसएस जानता है कि जिस दिन उनके लोग न्यायपालिका, नौकरशाही, सेना, मीडिया में बैठ जाएंगे उस दिन वो पूरे देश पर अपना कब्जा कर लेंगे। साथ राहुल ने संघ को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इन लोगों ने तो तिंरगे को सलाम करना भी सत्ता में आने के बाद सिखा है। जब तक इस देश में वन मैन वन वोट रहेगा ये देश आरएसएस का नहीं हो सकता।
वहीं राहुल ने ये बयान उस वक्त दिया जब कांग्रेंस के चुनाव हारने का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा। राहुल ने कहा कि संघ दो तरीके से देश को देखता है एक ये देश हमारा है और दूसरा कहता है कि मैं इस देश का हूं। ये मैं में अंतर है। आरएसएस का कहना है कि ये देश हमारा है तुम इस देश के नहीं हो। वहीं संघ भी राहुल के वार का जवाब देने से नहीं चुका उसने भी राहुल पर वार करते हुए कहा कि राहुल को संघ के बारे में कुछ नहीं पता। आरएसएस के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। कांग्रेस के नेता राहुल की इस रणनीति से खुश हैं। और वो शब्दों के इस युद्ध को बनाए रखना चहाते हैं।