जालांधर। पंजाब के जालांधर में बुढ़ापे में मां-बाप की सेवा न करने वाले पांच बच्चों को डीसी वरिंदर कुमार ने एक महीने के अंदर मां-बाप का घर खाली करने का आदेश दिया है। डीसी ने ये फैसला राज्य के सीनियर सिटीजन मेंटिनेंस एक्ट के तहत बच्चों से परेशान पेरेंट्स की तरफ से दायर शिकायतों की सुनवाई के बाद सुनाया। डीसी ने कहा कि अगर बच्चे अपने माता-पिता की सेवा ही नहीं कर सकते, उन्हें खुश नहीं रख सकते तो उन्हें माता-पिता के घर में रहने का कोई अधिकार नहीं है। बता दें कि डीसी के पास 50 शिकायतें आई हैं,जिसमें से 30 माता-पिता ने अपने बच्चो को दी जायजाद वापस लेने की गुहार लगाई है। इन सभी का कहना है कि ये सोचकर प्रॉपर्टी बच्चों के नाम की थी कि वो लाग बुढ़ापे में हमारी सेवा करेंगे, लेकिन जायजाद लेने के बाद तो उन लोगों के तेवर ही बदल गए।
आपको बता दें कि बच्चों के नाम ट्रांसफर प्रॉपर्टी की ट्रांसफर डीड और इंतकाल रद्द करने की पावर एसडीएम के पास है। एसडीएम ने 30 केसों में बच्चों को पक्ष रखने के लिए कहा है। बढ़ रहे केसों को देखते हुए डीसी ने बुधवार को सीनियर सिटीजन कोर्ट लगाने की घोषणा की है। इस दिन वह सिर्फ बुजुर्गों के केस सुनेंगे।सीनियर सिटीजन मेंटिनेंस एक्ट के तहत डीसी की कोर्ट के फैसले के खिलाफ कहीं अपील दायर नहीं होती। बाहर होने वाले बच्चों के पास घर वापसी के लिए हाईकोर्ट में पिटीशन दाखिल करने का अधिकार है। अब हाईकोर्ट के आदेश पर ही उन्हें घर में रहने का अधिकार मिल सकता है।
सराय खास के रहने वाले जोगिंदर सिंह और उनकी पत्नी बलवीर कौर ने अपने बेटे दविंदर सिंह के खिलाफ केस दायर किया है। जोगिंदर और उनकी पत्नी ने कहा है कि बच्चे उनकी बिल्कुल भी सेवा नहीं करते, बल्कि उन्हें तंग-परेशान करते हैं। उनका घर अब बच्चों के ही पास है। उन्हें बच्चों से घर खाली करवाकर दिया जाए। ताकि वह अपनी बाकी बची की जिंदगी आराम से बिता सकें।