लखनऊ। चुनावों में हर सीट जितना पार्टी के लिए बेहद अहम माना जाता है लेकिन कुछ विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिनको जीतना उनके लिए प्रतिष्ठा की बात हो जाती है। उत्तर प्रदेश की लखनऊ कैन्ट विधानसभा सीट भी इन्हीं में से एक है। इस सीट पर एक तरफ भाजपा से रीता बहुगुणा की प्रतिष्ठा दांव पर है, तो दूसरी तरफ है यादव परिवार की बहु अपर्णा यादव।
चुनावी समीकरणों की बात की जाए तो इन चुनावों में अपर्णा के मुकाबले रीता बहुगुणा जोशी ज्यादा मजबूत नजर आ रही है। पिछले चुनावों में कांग्रेस की प्रत्याशी रह चुकी रीता को इस सीट से 21 हजार 753 वोटों से जीत हासिल की थी। पिछले विधानसभा चुनावों में रीता ने भाजपा के सुरेश चन्द्र तिवारी को मात दी थी। इस बार वो खुद भाजपा की प्रत्याशी है। एक ओर मुलायम परिवार की बहू तो दूसरी ओर रीता बहुगुणा जोशी जैसे जुझारू छवि वाली नेता के मैदान में होने के कारण यहां विधानसभा चुनाव का सबसे रोचक और कांटे का मुकाबला होने के आसार हैं।
उत्तराखण्ड का होने का मिलेगा फायदा
कैन्ट विधानसभा में उत्तराखण्ड से जुड़े लोगों की संख्या भी अच्छी है। रीता और अपर्णा दोनों ही मूल रूप से उत्तराखण्ड की हैं। इसके अलावा सीएम अखिलेश की पत्नी सांसद डिम्पल भी उत्तराखण्ड से ताल्लुक रखती हैं। इसलिए जेठानी और देवरानी सपा के पक्ष में तो रीता कमल का फूल खिलाने के लिए अन्य वर्गों के साथ-साथ उत्तरखण्ड के लोगों के बीच पैठ बनाने की कोशिश करेंगी।
खास बात है कि कैन्ट विधानसभा से सपा अभी तक एक बार फिर जीत हासिल नहीं कर पायी है। वहीं युवा अपर्णा का यह पहला चुनाव है।
उनकी पहचान अभी तक एक बड़े राजनैतिक परिवार की बहू के रूप में ही है। हालांकि वह सामाजिक कार्यक्रमों से भी जुड़ी रहती हैं और काफी पहले से उनके इस विधानसभा चुनाव से लड़ने की चर्चाएं थीं। उन्हें मुलायम सिंह यादव ओर से जारी सूची में भी कैन्ट से प्रत्याशी बनाया गया था।
मोदी की तारीफ कर बटोरी सुर्खियां
अपर्णा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करके भी सुर्खियों में आ चुकी हैं। वह पीएम मोदी से प्रभावित भी हैं। वहीं एक कार्यक्रम में जब उन्होंने राजनाथ सिंह के पैर छूए तो भी सियासी फिजाओं में इसकी खूब चर्चा हुई थी। इसके अलावा अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते अपर्णा का एक बयान बेहद चर्चित हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यूपी में भौकाल मंत्रालय काम करता है।
वहीं अगर रीता बहुगुणा जोशी की बात करें तो वह कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं। जुझारू तेवरों और साफ सुथरी छवि वाली रीता की पहचान सक्रिय नेता के रूप में होती है। उनका 30 वर्षों का लम्बा राजनैतिक अनुभव भी है। सपा द्वारा अपर्णा को टिकट दिए जाने के बाद उनका कहना है, ‘मैं दस साल से इस क्षेत्र में सक्रिय हूं और मैने जनता से अभूतपूर्व सम्पर्क किया है।’