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नहीं थम रहा पद्मावत का विरोध, चित्तौड़गढ़ में सर्व समाज के लोगों ने किया विरोध

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चित्तौड़गढ़। फिल्म पद्मावती का नाम बदलकर पद्मावत करने और इसमें सेंसर बोर्ड द्वारा 300 कट लगाए जाने के बावजूद भी इस फिल्म की किस्मत बुरी ही साबित हो रही है। चार राज्यों में फिल्म के बैन होने के बाद भी राजपूत समाज के लोग नहीं मान रहे हैं। इसी कड़ी में बुधवार को फिल्म का विरोध करने के लिए चित्तौड़गढ़ के रिठोवा चौराहे पर सर्व समाज के लोगों ने हाईवे को जाम कर दिया है। फिल्म के विरोध को लेकर सर्व समाज के लोगों द्वारा लगाए गए जाम के बाद यहां गाड़ियों की आवाजाही बंद कर दी गई है क्योंकि यहां पर लोग टैंट लगाकर ही धरने पर बैठ गए हैं।

आपको बता दें कि एक दिन पहले मंगलवार को ही जान लगाने की घोषणा कर दी गई थी। जिसके बाद सभी ने मिलकर मौके पर प्रदर्शन की रणनीति बनाई। दरअसल राजस्थान में करणी सेना, बीजेपी लीडर्स और हिंदूवादी संगठनों ने इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए इश फिल्म को बैन करने की मांग की है। राजपूत करणी सेना का मानना है कि ​इस फिल्म में पद्मिनी और खिलजी के बीच गलत सीन फिल्माए जाने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची। फिल्म में रानी पद्मावती को भी घूमर नृत्य करते दिखाया गया है। जबकि राजपूत राजघरानों में रानियां घूमर नहीं करती थीं।padmawat01 1516096238 नहीं थम रहा पद्मावत का विरोध, चित्तौड़गढ़ में सर्व समाज के लोगों ने किया विरोध

हालांकि, भंसाली साफ कर चुके हैं कि ड्रीम सीक्वेंस फिल्म में है ही नहीं। बता दें कि पद्मावती चित्तौड़ की महारानी थीं। उन्हें पद्मिनी भी कहा जाता है। वे राजा रतन सिंह की पत्नी थीं। उन्होंने जौहर किया था। उनकी कहानी पर ही संजय लीला भंसालीने फिल्म बनाई है। वहीं कई लोगों का मानना है कि ये एक कोरी कल्पना है। रानी पद्मावती ने 1303 में जौहर किया। मलिक मुहम्मद जायसी ने 1540 में ‘पद्मावत’ लिखी। छिताई चरित, कवि बैन की कथा और गोरा-बादल कविता में भी पद्मावती का जिक्र था।

कई इतिहासकार कुछ हिस्सों को कल्पना मानते हैं। जायसी ने लिखा किके पद्मावती सुंदर थीं। खिलजी ने उन्हें देखना चाहा। चित्तौड़ पर हमले की धमकी दी। रानी मिलने के लिए राजी नहीं थीं। उन्होंने जौहर कर लिया। चित्तौड़गढ़ के जौहर स्मृति संस्थान का कहना है कि  फिल्म में हमलावर अलाउद्दीन खिलजी को नायक बताया गया है। जबकि राजा रतन सिंह की अहमियत खत्म कर दी गई है। फिल्म के एक गाने में घूमर नृत्य दिखाया गया, जिसकों लेकर राजपूतों के मुताबिक, घूमर अदब का प्रतीक है। रानी सभी के सामने घूमर नहीं कर सकतीं।

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