नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से देश भर में एक मेडिकल परीक्षा, राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार के अध्यादेश पर दस्तखत ना करने की अपील की है। केजरीवाल ने रविवार सुबह ट्वीट कर कहा कि मैं माननीय राष्ट्रपति महोदय से अध्यादेश पर दस्तखत ना करने की प्रार्थना करता हूं। वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस साल एनईईटी के दायरे से राज्य बोर्डों को बाहर रखने के लिए अध्यादेश पर कानूनी सलाह मांगी है। साथ ही वह कुछ सवालों पर विधि विशेषज्ञों से मशविरा कर भी रहे हैं।
इससे पहले केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर एक पत्र भी लिखा था कि सुनने में आ रहा है कि केंद्र सरकार अध्यादेश लाकर सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश को पलटने का मन बना रही है लोग इस खबर से परेशान हैं। मेरे पास कई छात्र मिलने के लिए आए और उन्होंने यह आशंका जताई है।
इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर अध्यादेश का मकसद सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आंशिक तौर पर टालना है जिसमें कहा गया था कि सभी सरकारी कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय और निजी मेडिकल कॉलेज एनईईटी के दायरे में आएंगे। स्पष्ट करते हुए कि छूट केवल राज्य सरकार की सीटों के लिए है, सरकारी सूत्रों ने कहा था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में चिन्हित राज्य की सीटों को भी छूट है।
एक बार अध्यादेश जारी होने पर राज्य सरकारी बोर्डो के छात्रों को 24 जुलाई को एनईईटी में नहीं बैठना होगा। सरकारी सूत्रों ने बताया कि हालांकि उन्हें अगले शैक्षिक सत्र से एकीकृत प्रवेश परीक्षा का हिस्सा बनना पड़ेगा। इस बीच, केंद्र सरकार ने एनईईटी पर अध्यादेश लाने का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ दिया था। वित्त मंत्री अरुण जेटली के अनुसार नीट को राज्य सरकार में एक साल के लिए टालने का प्रस्ताव कांग्रेस का ही था।