उत्तर प्रदेश के सियासी रण में चुनावी किताब के दो अध्याय खत्म हो चुके हैं। तीसरा अध्याय 19 फरवरी को होगा। तीसरे अध्याय के लिए राजनेताओं और प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली है। जनता ने भी मतदान में किस पार्टी पर मुहर लगानी है इसकी तैयारियां कर ली है। तीसरे चरण के मतदान से पहले राजनेताओं की कुंडली पर ध्यान देना जरूरी है कि आखिरकार इस बार सियासी रण में कौन किस पर भारी होने वाला है। कौन है वो लोग राजनीति की पिच पर सिक्सर लगा चुके हैं। यूपी की किताब के तीसरे अध्याय 826 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है। तीसरे चरण की प्रत्याशियों की सूची में 250 करोड़पति और 110 दागी हैं। सभी पार्टियों के अपराधी छवि वाले प्रत्याशी पर तो नजर डालने से पहले नजर डालते है कि इस पर किन राजनेताओं की साख दांव पर लगी हुई है।
तीसरे चरण के चुनाव में जिन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है उनमें फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी और सीतापुर जिले शामिल हैं। इनमें इटावा, कन्नौज, मैनपुरी, फर्रुखाबाद तथा बाराबंकी जिलों को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। यहां से अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, डिंपल यादव, मंत्री अरविंद सिंह गोप की साख दांव पर लगी हुई है।
शिवपाल यादव
समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार शिवपाल यादव को किसी भी परिचय की आवश्यकता नहीं है। एक समय में मुलायम सिंह यादव के बायां हाथ कहे जाने वाले शिवपाल यादव इटावा के जसवंतनगर से चुनाव लड़ रहे हैं। सपा मे सियासी घमासान के बाद अखिलेश का शिवपाल पर भरोसा कर टिकट देना बड़ी बात कहा जा रहा है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव खुद ही शिवपाल के लिए वोट मांग चुके हैं। जसवंतनगर में सिर्फ शिवपाल यादव की प्रतिष्ठा दांव पर तो लगी हुई है ही साथ ही मुलायम सिंह यादव की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है।
स्वाति सिंह
तीसरे चरण में कई ऐसे चेहरे हैं जो बड़े राजनेताओं के खिलाफ टिप्पणी करके मशहूर हुए हैं। इन राजनेताओं में से एक हैं स्वाति सिंह। बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली स्वाति सिंह पहले भाजपा की महिला मोर्चा की अध्यक्ष बनीं और बाद में भाजपा ने उन्हें चुनावी रण में उतारा है। स्वाति सिंह भाजपा के पूर्व नेता दयाशंकर सिंह की पत्नी हैं। भाजपा ने उन्हें सरोजनीनगर से प्रत्याशी बनाया हैं। यह सीट भाजपा की प्रतिष्ठा से जुड़ी है।
रीता बहुगुणा जोशी
कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुई रीता बहुगुणा पर पहले ही बार में पार्टी ने भरोसा जताया है और उन्हें लखनऊ कैंट से प्रत्याशी बनाया गया है। पिछले चुनावों में कांग्रेस की प्रत्याशी रह चुकी रीता को इस सीट से 21 हजार 753 वोटों से जीत हासिल की थी। पिछले विधानसभा चुनावों में रीता ने भाजपा के सुरेश चन्द्र तिवारी को मात दी थी। अब उन्हें खुद भाजपा को जीताने के लिए मेहनत करनी है। इस सीट पर मुकाबसा दिसचस्प होने वाला है एक तरफ रीता है तो दूसरी तरफ सपा ने अपर्णा यादव को उतारा है। रीता के लिए अपर्णा तो चुनौती है ही लेकिन कांग्रेस के बाद भाजपा की तारीफें करना जनता को कितना लुभाएगा ये तो आगे ही पता चलेगा।
अपर्णा यादव
लखनऊ कैंट विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है। एक तरफ रीता बहुगुणा जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने अपर्णा यादव के रूप में एक नया चेहरा राजनीति में उतारा है। अपर्णा को ना सिर्फ यादव परिवार की बहू होने का फायदा मिलने वाला है बल्कि युवा चेहरा होने के कारण वो मतदाताओं को ज्यादा आकर्षित कर सकेंगी। अपर्णा ने राजनीति में तो अब तक कोई बड़ा काम नहीं किया है लेकिन संगीत की दुनिया में एक नया मुकाम हासिल किया है।
नीतिन अग्रवाल
सपा के कई नेताओं की तरह ही नीतिन अग्रवाल को राजनीति विरासत में मिली हुई है। नीतिन समाजवादी पार्टी के सहासचिव और राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल के बेटे हैं। हरदाई विधानसभा सीट सपा का गढ़ माना जाता है इसलिए नीतिन अग्रवाल पर भरोसा जताते हुए सपा ने उन्हें इसी सीट से उम्मीदवार बनाया है। वैसे भी हरदोई विधानसभा सीट पर नरेश अग्रवाल का काफी प्रभाव माना जाता है, जिसके कारण नीतिन के जीत के आसार ज्यादा लगाए जा रहे हैं।
समाजवादी के लिए खास
उत्तर प्रदेश चुनाव की तीसरा फेज समाजवादी पार्टी के लिए बेहद खास होने वाला है। क्योंकि सपा से बगावत करने वाले ज्यादातर नेता कोई किसी प्रतिष्ठित पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए तैयार है तो कोई निर्दलीय से सपा को हराने के लिए तैयारी में है। एक तरफ सपा के खुद के बागी नेता उसे हराने में लगे हुए है तो दूसरी तरफ भाजप शिक्सत देने का कोई मौका नहीं गवाना चाहती।
सबसे ज्यादा करोड़पति रण में
तीसरे चरण में सबसे ज्य़ादा करोड़पति रण में उतरने वाले हैं। कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा ने सबसे ज्यादा करोड़पति उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है।
बसपा के 67 में से 56 यानि की 84%
भाजपा के 67 में से 61 यानि की 90%
सपा के 59 में से 51 यानि की 86%
कांग्रेस के 14 में से 7 यानि की 50%
रालोद के 40 में से 13 यानि की 33% प्रत्याशी करोड़पति हैं।
आशु दास
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