देश में विमुद्रीकरण जैसे नियम को लाने के पीछे पीएम मोदी का उद्देश्य कालेधन को बाहर लाना, आतंकियों को हो रही फंडिंग पर रोक लगाना और देश में चल रहे जाली नोटों पर रोक लगाना था। हालांकि इसके परिणाम धीरे धीरे ही सही पर सामने आने लगे हैं, जो पैसा आजतक लोगों के लिए प्यारा होता था वो अब कूड़े के ढ़ेर मे जलने लगा है, नदियों में बहता पाया जाता है और नेताओं के गाड़ियों में भरे मिलते हैं। लेकिन इन सब से परे यह सबकी जिम्मेदारी है कि प्रधानमंत्री का उनके इस कदम में पूरा साथ दिया जाए।
देश में पुलिस की इमेज लोगों के दिमाग में कभी बहुत अच्छी नहीं रही है, नोटबंदी के इस दौर में पुलिस स्वयं को चमकाने के चक्कर मे एकबार फिर से निशाने पर है। मामला मध्यप्रदेश का है जहां पर एमपी पुलिस ने एक बर्तन मांजने वाली महिला को उठा लिया है और आरोप लगाया है कि इसके पास साठ लाख का काला धन है। मामले की तहकीकात आगे बढ़ी और पुलिस ने महिला के घर में जांच करना शुरु कर दिया , पर महिला के घर से साठ लाख तो दूर फूटी कौड़ी भी नहीं मिली।
एक स्थानीय समाचार पत्र मे प्रकाशित इस घटना में पुलिस को सूचना मिली की एक बर्तन मांजने वाली महिला जिसका नाम गंगाबाई है वो अपने घर से साठ लाख रुपए से भरा बैग लेकर निकली है जिसमें साठ लाख रुपए हैं, पुलिस ने बिना किसी पुख्ता सबूत को उस महिला को गिरफ्तार कर लिया और घंटो पूछताछ की, लेकिन पुलिस के हाथ समय बर्बादी के अलावा कुछ नहीं लगा।