नई दिल्ली। इन दिनों पित्रपक्ष या श्राद्ध के माह चल रहे हैं, इस माह में लोग अपने पितरों को अन्न और जल देकर उनकी संतुष्टि कर रहे हैं। पितृपक्ष की अमावस्या को पितर हमसे विदा लेते है। इस दिन हम उनको भोजन जल आदि का तर्पण कर विदा करते हैं। पितृ विसर्जन के दिन पितरों को सम्मान देते हुए उन्हे विदा करते हैं। पितृ भी सहर्ष आशीष देते हुए अपने लोक वापस लौट जाते हैं।
कहा जाता है कि जिन लोगों को अपने पूर्वजों और परिजनों के देहत्याग की तिथि का ध्यान नहीं होता या तिथि पता नहीं होती है। अमावस्या यानी पितृविसर्जन की तिथि को इस इनका श्राद्ध किया जाता है। इस बात का उल्लेख हमारे ग्रंथों में भी आया है। अकाल मृत्यु को प्राप्त किए और अगर कोई अपने नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहता है तो वह भी इसी तिथि को करता है। इस बार पितृपक्ष का महीना एक दिन छोटा है क्योंकि दो तिथियां एक साथ पड़ी हैं। इस बार पितृविसर्जन 19 सितम्बर को दोपहर 11 बजकर 52 मिनट पर लगेगा।
मान्यता है कि उदयातिथि की तिथि मान्य होती है। इसलिए 19 तारीख को लगने वाला पितृविसर्जन 20 तारीख की सुबह 10 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। जिस कारण से इसकी मान्यता 20 तारीख की होगी। क्योंकि उदयातिथि में इस दिन सूर्य का उदय होगा अत: इस दिन ये दिन भर की तिथि मान्य होगी। पितृविसर्जन भी इसी तिथि में होगा।हांलाकि लोग पितृविसर्जन का काम 19 सितंबर को ही शुरू कर देंगे।