इलाहाबाद। जीएसटी लागू होने का असर अब दवाईयों पर दिखाई देने लगा है। सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में दवा आपूर्ति में अवरोध आ गया है। टैक्स के पांच स्लैब होने और बिल काटने की दिक्कतों का कारोबारियों पर असर भारी पड़ रहा है। दवा कम्पनियों से नया स्टॉक न आ पाने से थोक दवा की दुकानों से लेकर छोटे विक्रेताओं पर इसका साफ असर दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही जो दवाएं उपलब्ध है उनमें टैक्स विभाजन तय न होने की वजह से दिक्कते बढ़ती जा रही हैं।
बता दें कि फुटकर दवा बेचने वाले केमिस्ट खरीदारी करते समय टैक्स की अलग-अलग दरों पर बहस कर रहें हैं। जीवन रक्षक दवाओं के वापसी पर टैक्स की दरें कुछ कम दर्शाई गई है। शहर के लीडररोड, बालसन, सिविल लाइंस समेत कई स्थानों पर महत्वपूर्ण दवाएं बाजार में उच्च रक्त चाप, मधुमेह, हृदय रोग में काम आने वाली दवाओं की कमी हो चुकी है।
वहीं दवाओं की कमी के कारण सरकारी व गैर सकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजो के परिजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों की माने तो जीएसटी के लगने से दवाओं को लेकर चल रही कमीशन खोरी में भी लगाम लग सकती है। दवाओं के दाम कम होगें या अधिक इसका पूरा असर उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा। लेकिन परेशान दुकानदार और थोक विक्रेता हो रहे हैं। जबकि जो भी कर अबतक दे रहे थे वह अपने जेब से नहीं दे रहे थे। न ही जीएसटी लागू होेने के बाद अपने जेब से देंगे।