नई दिल्ली। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिन के छठ महापर्व का आज समापन हो गया.. बिहार , पूर्वी यूपी से निकलकर पूर विश्व में फैले इस पर्व की महिमा इतनी है कि कई कड़े नियमों के बावजूद भी देशभर में नदियों, तालाबों में और सजे-धजे घाटों पर आज अर्घ्य दिया गया। कहते हैं कि इस दिन अर्घ्य देने का फल अमोघ होता है। उगते सूर्य का अर्घ्य दरअसल उनकी पत्नी ऊषा को दिया जाता है।
कार्तिक शुक्ल की सप्तमी तिथि को यानि छठ के चौथे दिन के समापन से पहले व्रती घाट पर पहुंचती हैं और अपने आराध्य सूर्य को अर्घ्य देती हैं.. दूध और जल से आज सूर्यो को अर्घ्य दिया जाता है.. और सूर्य के मंत्रों का जाप किया जाता है। इसके बाद व्रती नींबू पानी पीकर व्रत का समापन करती हैं और छठ के महाप्रसाद का वितरण करती हैं। छठ व्रत को करने के कई लाभ हैं।
-ऐसी मान्यता है कि छठ व्रत करने से निसंतान लोगों को संतान की प्राप्ति होती हैं।
-जिन लोगों को संतान संबंधी समस्या होती है उनके लिए ये व्रत विशेष फलदायी होता है।
-व्यवसाय ,नौकरी से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में ये व्रत सहायक होता है।
-छठ पर्व की असीम महिमा विद्यार्थियों पर भी होती है। छठी मइया की कृपा से उन्हें पढ़ाई में सफलता मिलती है।
-इस व्रत को लेकर मानयताएं हैं कि जिस किसी भी कार्य को मानकर ये व्रत किया जाए, वह जरूर पूरा होता है।
जल-अन्न ग्रहण कर ‘पारण’:-
छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन सोमवार बड़ी संख्या में व्रतधारी गंगा सहित विभिन्न नदियों के तट और जलाशयों के किनारे पहुंचे और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की। इसके बाद व्रती अपने घर आकर जल-अन्न ग्रहण कर ‘पारण’ किया और 36 घंटे का निर्जल उपवास समाप्त किया।
छठ को लेकर चार दिनों तक पूरा बिहार भक्तिमय रहा। मोहल्लों से लेकर गंगा तटों तक यानी पूरे इलाके में छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। राजधानी पटना की सभी सड़कें दुल्हन की तरह सजाई गई। राजधानी की मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक की सफाई की गई। आम से लेकर खास लोगों तक सड़कों की सफाई में व्यस्त रहे।