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GSAT-9 के लॉन्च के बाद बोला ‘पाक’, भारत ने नहीं रखा साथ

isro 2 GSAT-9 के लॉन्च के बाद बोला 'पाक', भारत ने नहीं रखा साथ

नई दिल्ली। सार्क देशों को तोहफा देते हुए भारत ने सैटेलाइट को लॉन्च कर दिया है। इस सैटेलाइट के लॉन्च होने के बाद अब दक्षिण एशियाई देश एक-दूसरे से जानकारी साझा कर सकेंगे। भारत की ओर से लॉन्च किए गए इस सैटेलाइट से जहां एक तरफ दक्षिण एशिया के तमाम देश खुश है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान निराश है, क्योंकि वो इस प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं था।

इस प्रोजेक्ट का हिस्सा ना होने पर गुस्सा जाहिर करते हुए पाकिस्तान ने इसका ठिकरा भारत के सिर पर फोडते हुए कहा है कि  दिल्ली सभी के सहयोग से उपक्रम विकसित करने का इच्छुक नहीं है।

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खुद को किया था अलग

पाकिस्तान ने इससे पहले खुद को प्रोजेक्ट से अलग करते हुए कहा था कि वो खुद को कोई अंतरिक्ष कार्यक्रम बना रहा है जिसके कारण वो इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता। पाकिस्तान ने यह दावा उस वक्त किया है, जब भारत ने पड़ोसी देशों के संचार एवं आपदा संबंधी सहयोग देने के मकसद से दक्षिण एशिया उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है।

पाकिस्तान की पेशकश

अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने सैटेलाइट लॉन्च के बाद पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकरिया ने कहा कि 18वें सार्क शिखर बैठक के दौरान भारत सैटेलाइट का तोहफा देने की पेशकश की थी। उस वक्त पाकिस्तान से इस संदर्भ में कुछ नहीं कहा गया था।

बांग्लादेश ने की तारीफ

सैटेलाइट की लॉन्चिंग के बाद पाकिस्तान बेशक नाराज है और गुस्सा दिखा रहा है लेकिन बाकि पड़ोसी मुल्क इससे काफी खुश है। सैटेलाइट की लॉन्चिंग के बाद बांग्लादेश ने कहा है कि भारत के इस कदम से विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा।

8 देश है प्रोजेक्ट का हिस्सा

भारत के अलावा इस प्रोजेक्ट में सार्क के 8 देशों की भी हिस्सेदारी है। श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं। मिली जानकारी के मुताबिक इस उपग्रह को बनाने में करीब 235 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

12 सालों तक करेगा काम

इस सैटेलाइट के बारे में जानकारी देते हुए आगे किरण कुमार ने बताया कि अंतरिक्ष में प्रक्षेपण के वक्त 2,195 द्रव्यमान का यह सैटेलाइट 12 केयू-बैंड ट्रांसपॉन्डर को ले जाएगा।इस सैटेलाइट को ऐसे डिजाइन किया गया है कि ये अपने मिशन पर 12 सालों तक काम करेगा।

मोदी ने दी बधाई

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद् (इसरो) ने पूरी तरह भारत की ओर से वित्त पोषित दक्षिण एशिया संचार उपग्रह का अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने अन्य सात देशों के प्रमुखों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग से संवाद कर कहा कि जब समान विचारधारा वाले देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग की बात आती है तो आकाश भी सीमा नहीं है। मोदी ने सभी देशों का शुक्रियाअदा करते हुए कहा, ‘दक्षिण एशिया सैटेलाइट हमें बताता है कि जब समान विचारधारा वाले देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग की बात आती है तो आकाश भी सीमा नहीं है।’

राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति ने दी बधाई

इस सफल प्रक्षेपण के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने इसरो और एशियाई देशों को बधाई दी। सफल प्रक्षेपण के लिए एक समारोह में उपग्रह से लाभान्वित सभी सात दक्षिण एशियाई देशों के प्रमुख को वीडियो सम्मेलन के माध्यम से जोड़ा गया।

एक संदेश में अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के चेयरमैन को भेजे संदेश में राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘दक्षिण एशिया उपग्रह-जीएसएटी-बी के सफल शुभारंभ के अवसर पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और उसकी पूरी टीम की मेहनत पर बधाई देता हूं।’’

उपग्रह से जुड़ी कुछ खास बातें

दो टन से ज्यादा वजन के उपग्रह का तीन वर्षों में 230 करोड़ रुपये से अधिक की लागत में निर्माण किया गया है। दक्षिण एशिया सैटेलाइट के पास 12 केयू बैंड ट्रांसपोंडर हैं, जो भारत के पड़ोसी संचार बढ़ाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

प्रत्येक देश को कम से कम एक ट्रांसपोंडर तक पहुंच प्राप्त होगी जिसके माध्यम से वे अपनी प्रोग्रामिंग को बीम कर सकते हैं।

उपग्रह डीटीएच टेलीविज़न, वीएसएटी लिंक, दूर-शिक्षा, टेलीमेडिसिन और आपदा प्रबंधन सहायता को सुविधाजनक बनाने में मदद करेगा। यह भूकंप, चक्रवात, बाढ़ और सुनामी जैसे आपदाओं के समय महत्वपूर्ण संचार लिंक प्रदान करेगा ।

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