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आपरेशन ब्लू स्टार: 32वीं बरसी पर ताजा हुईं यादें

Blue Star आपरेशन ब्लू स्टार: 32वीं बरसी पर ताजा हुईं यादें

इस घटना की असली वजह जानने के बाद ही शायद इस ऑपरेशन की जरूरत समझ में आ पाएगी। 70 के दशक की शुरुआत के साथ ही पंजाब में खालिस्तान नाम से अलग राज्य की मांग और चरमपंथ बढ़ गया था। इस अलग राज्य की मांग कर रहे संगठन का मुखिया कोई और नहीं बल्कि दमदमी टकसाल के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरावाला थे जो अपने अनुयायियों के साथ गोल्डन टेंपल में छुपे थे। जरनैल सिंह भिंडरावाला सिखों की धार्मिक संस्था दमदली टकसाल का लीडर था। उसकी कट्टर विचारधारा ने लोगों पर गहरा असर डालना शुरू कर दिया था। इसीलिए उसे संस्था की कमान सौंपी गई थी। भिंडरावाला ने गोल्डन टैम्पल परिसर में बने अकाल तख्त में अपना मुख्यालय बना लिया था। 1983 से वह हथियारबंद साथियों के साथ यहीं रहने लगा।

Jarnail Singh

1970 के दशक में भारत विरोधी ताकतों ने सिखों के मन में यह बात बैठा दी कि हिंदू उनका शोषण कर रहे हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का राजनीतिक संगठन अकाली दल सिखों के लिए भारत सरकार से कुछ विशेष रियायतें चाहता था। इसके लिए वर्ष 1973 फिर 1978 में आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया गया। कहा जाता है कि अकालियों के इस रवैए पर अंकुश लगाने के लिए तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने सिखों के धार्मिक समूह दमदमी टकसाल के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरावाला का परोक्ष रूप से समर्थन किया। लेकिन धीरे-धीरे जरनैल सिंह की राजनीतिक महत्वाकांक्षा बढ़ने लगी तो सरकार ने उसके सिर से अपना हाथ हटा लिया। इससे खफा होकर जरनैल सिंह ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 80 का दशक आते-आते यह सशस्त्र आंदोलन में बदल गया, जिसे खालिस्तान आंदोलन नाम दिया गया। आंदोलन के समर्थक पृथक सिख राष्ट्र की मांग करने लगे। अकाली दल के सदस्य भी सिखों के हितों को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने लगे।

जरनैल सिंह भिंडरावाला को उम्मीद ही नहीं थी कि गोल्डन टेंपल से उन्हें या उनके अनुयायियों को निकालने के लिए भारत सरकार सैन्य बल का प्रयोग करेगी। जब गोल्डन टेंपल पर कार्रवाई करने की अर्धसैनिक बलों ने जब रिहर्सल पूरी कर ली तो 1 जून 1984 को सीआरपीएफ ने गोल्डन टेंपल पर गोलीबारी की ताकि क्रास फायरिंग से अंदर छिपे लोगों की ताकत और संख्या का पता लगाया जा सके। सीआरपीएफ के जवान गोल्डन टेंपल पर करीब 6 घंटे फायरिंग करती रही। इस फायरिंग में गोल्डन टेंपल में माथा टेकने गए 8 श्रद्धालु मारे गए थे और 25 से ज्यादा घायल हो गए थे।

आगे किसने की थी ऑपरेशन की अगुआई

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