‘आपरेशन ब्लू स्टार’ भारतीय सेना द्वारा 3 से 6 जून 1984 को पंजाब के अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) परिसर को खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाला और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था। हालांकि पहले इस अभियान का नाम ‘ऑपरेशन सनडाउन’ था। क्योंकि सारी कार्रवाई आधी रात के बाद होनी थी। रॉ ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के साथ मिलकर ‘ऑपरेशन सनडाउन’ की योजना बनाई थी। 3 जून को भारतीय सेना ने अमृतसर पहुंचकर पहले स्वर्ण मंदिर परिसर को घेर लिया। शाम में शहर में भी कर्फ़्यू लगा दिया गया। इसके बाद 4 जून को सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी लेकिन चरमपंथियों की ओर से इसका इतना तीखा जवाब मिला कि 5 जून को बख़तरबंद गाड़ियों और टैंकों को इस्तेमाल करने का निर्णय लिया गया।
5 जून की ही रात को सेना और खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाला और उनके समर्थकों के बीच जमकर मुठभेड़ हुई और भीषण ख़ून-ख़राबा हुआ। इस ऑपरेशन में अकाल तख़्त पूरी तरह तबाह हो गया। स्वर्ण मंदिर पर भी गोलियां चलीं। रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार के 83 सैनिक मारे गए और 249 घायल हुए। जबकि 493 चरमपंथी मारे गए। जिसमें कुछ आम नागरिक भी थे। इस मामले में करीब 1500 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। इसी ऑपरेशन ब्लू स्टार का दुष्परिणाम 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के रूप में सामने आया। इंदिरा गांधी के ही दो सिक्ख सुरक्षा गार्डों ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया था।
ऑपरेशन ब्लू स्टार को 6 जून को 32 साल हो गए। लेकिन कई सवाल अबी भी जिंदा हैं। आखिर क्यों इस ऑपरेशन की जरूरत पड़ी? आखिर इस ऑपरेशन में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हुए नरसंहार से अनभिज्ञ कैसे थीं? आखिर सरकार के पास क्या इस ऑपरेशन को चलाने के अलावा कोई और तरीका नहीं था इस नरसंहार को रोकने का? ऐसे अनेकों सवाल आज भी जैहन में कौध जाते हैं जब 6 जून की तारीख कालेंडर पर हर साल नजर आती है। 32 साल के लंबे समय के गुजरजाने के बाद भी हालात में केवल इतना परिवर्तन हुआ है कि अब सेना के सहारे इस दिन गोल्डन टैंपल की व्यवस्था चलाई जाती है। इस ऑपरेशान में हुई सैन्य कार्रवाई में 492 लोगों की जान गई थी। जिसमें सेना के चार अफसरों सहित 83 जवान शहीद हुए थे। यह आधिकारिक आंकड़ा है। नरसंहार और कितना बड़ा होगा इसका अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल है।
आगे जानें कौन था जरनैल सिंह भिंडरावाला