देहरादून। प्रदेश के सहकारिता राज्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने विधानसभा के सभागार में डेरी विकास विभाग की समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी निर्भीकता एवं ईमानदारी से कार्य करें, तथा बिना किसी दबाव में अपने दायित्वों का निर्वहन करें।
उन्होंने कहा कि यदि कहीं पर भ्रष्टाचार की शिकायत संज्ञान में आती, तो उन्हें सीधे मोबाईल पर अवगत करायें। उन्होंने कहा कि आंचल द्वारा उत्पादित दुग्ध एवं उत्पादों की सरकारी विभाग में सप्लाई कराने का प्रस्ताव तैयार करें। उन्होंने पशुपालकों का डेरी से सीधा सम्बन्ध बनाने के लिए सभी दुग्ध उत्पादन समितियों को शीघ्र कम्प्यूटरीकृत करने के निर्देश दिए। ज्ञातव्य है कि समितियों के कम्प्यूटरीकरण के लिए सीधे केन्द्र से धनराशि प्राप्त होती है।
उपस्थित अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि डेरी, पशुपालकों का आय का मुख्य संसाधन हो सकता है तथा यह पलायन भी रोकने में सक्षम है। उनका कहना था, प्रदेश में दूध की भारी मांग है, किन्तु डेरी विभाग की उचित कार्य योजना न होने के कारण हमें दूध आपूर्ति के लिए प्रदेश के बाहर के जनपदों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो कि दुखद है।
उन्होंने सचिव दुग्ध विकास को निर्देश दिये कि प्रदेश की दुग्ध उत्त्पादन क्षमता तथा मार्केटिंग बढायें। इसके लिए उन्होंने वर्तमान विधायक एवं पूर्व अध्यक्ष दुग्ध उत्पादक संघ धन सिंह नेगी से सुझाव मांगे तथा उनका कार्ययोजना में सम्मिलित करने के निर्देश दिये। धन सिंह रावत ने कहा कि उनका मानना है कि दुग्ध विकास में फील्ड में तैनात अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, किन्तु अधिकतर स्टाफ मुख्यालय में तैनात होने के कारण दुग्ध उत्पादन घटा है, तथा प्रदेश की मांग के अनुपात में दूध आपूर्ति नहीं की जा पा रही है। उन्होंने सचिव डेरी को विजय कुमार ढौंडियाल को ग्रामीण क्षेत्र में स्टाफ शिफ्ट करने के निर्देश दिये तथा एक माह में पुनः बैठक करने के निर्देश दिये।