नई दिल्ली। अगले महीने एनएसजी का अगला पूर्ण अधिवेशन स्विम राजधानी बर्न में होने जा रहा है, लेकिन चीन के विरोध करने पर इस अधिवेशन में भारत के शामिल होने की संभावना कम ही दिख रही है। भारत मने इसमे पिछले साल परमाणु सामग्रियों, उपकरणों और प्रौद्योगिकी के आयात के लिए इसमें आधिकारिक रूप से आवेदन किया था। पिछले साल जून में सोल में आयोजित एनएसजी के पूर्ण अधिवेशन में यह मुद्दा चर्चा के लिए पेश हुआ लेकिन इसका बहुत कम नतीजा निकला क्योंकि चीन ने भारत की कोशिश में अड़ंगा डाल दिया।
बता दें कि चीन ने कहा था कि भारत ने NPT पर दस्तखत नहीं किए हैं। एनएसजी के अगले बैठक से पहले भारत ने 48 देशों के इस समूह की सदस्यता हासिल करने के लिए अपनी कोशिशें फिर से शुरू कर दी हैं। उसने सभी सदस्य देशों से बात की है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस जैसे अन्य प्रमुख देशों से भारत को समर्थन मिलने के बावजूद चीन अब भी अपने रुख पर अड़ा है।
वहीं चीन एनएसजी के लिए दो चरण वाली प्रक्रिया पर ज्यादा जोर दे रहा है। जिन देशों ने एनपाटा पर साइन किए हैं उन देशों के लिए इनमें कसौटी तय करना शामिल है। चीन हमेशा भारत की तुलना पाक के साथ करता है। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि एनएसजी में भारत की सदस्यता का मुद्दा बर्न बैठक में भी चर्चा में आने की उम्मीद है, लेकिन फिलहाल पहले जैसी स्थिति बनी हुई है।
साथ ही चीन के राजदूत लुओ झाओहुइ ने यहां के एक कार्यक्रम में पिछले महीने संक्त दिया था कि एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत की कोशिशों के प्रति उनके देश के रुख में कोई फर्क नहीं आया है। NSG के मुद्दे पर हम यह मानते हुए किसी देश की सदस्यता का विरोध नहीं करते कि पहले दाखिले के लिए किसी मानक पर सहमत होना जरूरी है। भारत का कहना है कि चीन एक ऐसा देश है जो उसकी कोशिशों को लगातार रोकता रहा है और अभी भी रोक रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल दोनों पक्षों ने वार्ता के दो दौर चलाए थे। चीन के परमाणु वार्ताकार वांग छुन और भारत के तत्कालीन परमाणु नि:शस्त्रीकरण सचिव अमनदीप सिंह गिल ने 13 सितंबर और 31 अक्तूबर को वार्ता के दो दौर चलाए थे।