बीजिंग। भारत के पड़ोसी देश चीन के कानून बडे ही अजीबो-गरीब है। इस बार चीन की सत्तारुढ़ पार्टी ने हर पांच साल में होने वाले सम्मेलन समाहरो में राजनीतिक लिहाज से बड़ा ही महत्वपूर्ण बना दिया है। इस आयोजन में कुछ नियम लागू किए गए है। इन नियमों के तहत देश की सरकार में निष्ठावान रहने वाले कारोबारियों और पत्रकारों समेत समाज के हर वर्ग को देश भक्ति का टेस्ट देना होगा। अगर ये लोग इस टेस्ट में पास हो गए तो इनाम मिलेगा नहीं तो इनके लिए सजा का प्रावधान कर दिया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों ने इस कार्यक्रम को लेकर कहा कि इस कार्यक्रम का अर्थ नियम-कानूनों की पूरी कवायद को लोगों की आजादी पर अधीक से अधीक नियंत्रण लागू करने के लिए है, जोकि राजनाीतिक लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही इस दौरान देश में कुछ नए नियम भी लागू किए जा सकते हैं। इस कार्यक्रम के बाद पार्टी के पास ये अधिकार हो जाएगी की कौन पार्टी के लिए वफादार है और कौन नहीं।
बता दें कि इस कार्यक्रम को लेकर जो दिशा-निर्देश दिए गए है उनके तहत इसमे कारोबार करने वालों को अधिक महत्व दिया गया है। उन्हें देशभक्ति के मानकों के मुताबिक काम करने और कारोबार में अधिक से अधिक जुड़ने के लिए कहा गया है। विश्लेषकों का मानना है कि सत्ता में दोबारा आने वाली पार्टी सरकार की आर्थिक सुधार नीति को भी व्यवस्थित करेगी। इस बात की भी संभावना है कि सरकार गैर-सरकारी कारोबार को बढ़ावा देगी और सरकारी कंपनियों की भूमिका में कमी लाएगी।
गौरतलब है कि सम्मेलन में शी जिनपिंग का कद बढ़ाने की तैयारी है। उन्हें फिर से राष्ट्रपति चुना जाएगा और उनके अधिकार भी बढ़ाए जाएंगे। पिछले साल अक्टूबर में पार्टी ने चिनफिंग को ‘कोर लीडर’ की उपाधि देकर उनकी स्थिति को मजबूत किया था। इस बार पार्टी संविधान में चिनफिंग का दर्जा बढ़ाकर पूर्व नेताओं माओत्से तुंग और डेंग शियाओपिंग के स्तर पर करने की भी संभावना है।