नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद को खत्म हुए अभी जुम्मा-जुम्मा कुछ महीने ही बीते हैं कि अब दोनों देशों के बीच में एक बार फिर विवाद खड़ा हो सकता है। बता दें कि अगला विवाद सड़क बनाने को लेकर नहीं बल्कि सीमा पर मौजूद दो नदियों को लेकर हो सकता है। दरअसल चीन ने इस साल ब्रह्मापुत्र और सतलुज नदी के पानी का डेटा भारत को अब तक उपलब्ध नहीं करवाया है। डेटा साजा करने के लिए दोनों देशों के बीच में द्विपक्षिय समझौता तो है, लेकिन फिर भी इस साल चीन ने हाइड्रोजन डाटा उपलब्ध नहीं करवाया, जिसके चलते दोनों देशों में एक बार फिर विवाद खड़ा हो सकता है।
आपको बता दें कि भारत और चीन एक दूसरे को 15 मई से 15 अक्टूबर के बीच ब्रह्मापुत्र और सतलुज नदी का डेटा उपलब्ध करवाते हैं। इस मामले को लेकर अधिकारियों का कहना है कि चीन ने इस बार पूरे पांच महीने का डेटा उपलब्ध नहीं करवाया है और न ही इसको लेकर चीन ने अभी तक कोई संकेत दिया है। वहीं दूसरी तरफ ये आशंका भी जताई जा रही है कि चीन दोनों नदियों के पानी को डाइवर्ट भी कर सकता है। दरअसल इस डेटा के उपलब्ध हो जाने के बाद भारत में बाढ़ का अनुमान लगाने और मानसून में जल का स्तर बढ़ने से जरूरी व्यवस्था करने में मदद मिलती है।
दूसरी तरफ चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि तिब्बत में मौजूदा डेटा कलेक्शन सेंटर को बाढ़ के कारण नुकसान पहुंचा है। चीन के अनुसार, अब एक बार फिर से जब तक यालजांग्बु और लांग्केन जांग्बो पर डेटा कलेक्शन नहीं होता, तब तक दिल्ली को डेटा शेयर नहीं किया जा सकता। हालांकि, इससे पहले चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि डोकलाम विवाद को लेकर डेटा शेयर को रोका गया है। गौरतलब है कि इस साल ब्रह्मपुत्र नदी ने असम राज्य में जमकर कहर बरपा था, जिससे 160 लोगों की मौत हुई थी। इस बाढ़ ने राज्य के 29 जिलों के हजारों लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर कर दिया था। वहीं, सतलुज नदी से पजांब में किसानों की 1,000 एकड़ को नुकसान पहुंचाया था।