नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस को झटका देते हुए तत्काल नोटा विकल्प पर रोक लगा दी है। जिसका असर गुजरात में होने वाले राज्यसभा चुनाव पर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस को फिलहाल राहत देने से इंकार कर दिया है। दरअसल इसके लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पेशे से वकील कपिल सिब्बल ने राज्यसभा चुनाव में नोटो के इस्तेमाल होने वाले बैलेट पर खिलाफ जस्टिस दीपक मित्रा, जस्टिस अमिताभ रॉय और जस्टिस एएम खानविलर की सदस्यता वाली पीठ के समक्ष याचिका दायर कर फौरन सुनवाई का अनुरोध किया। सिब्बल का तर्क था कि इन चुनावों में इस्तेमाल होने वाले बैलेट पेपर नोटा के लिए कोई सांविधानिक प्रावधान नहीं है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई तो की लेकिन कांग्रेस की ओर से याचिका को देर से दायर करने को लेकर कांग्रेस को राहत देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस से सवाल करते हुए पूछा कि जब तुम्हे पता था कि चुनाव आयोग ने जनवरी 2014 में ही इस बात के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। तो आप अभी तक कहां थे और इतनी देरी से सवाल क्यों उठा रहे हैं। गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव में बीजेपी ने अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और बलवंतसिंह राजपूत को उतारा, वहीं कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी के लिए राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल चुनाव मैदान में हैं। हालांकि यहां कांग्रेस के 6 विधायकों के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को फूट की आशंका है और ऐसे में वह आगे किसी भी तरह के नुकसान से बचने की कोशिश कर रही है और इसी के तहत उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
दरअसल, राज्यसभा चुनाव में विधायकों को अपना बैलट पेपर बॉक्स में डालने से पहले उसे पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाना पड़ता है. चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक, अगर कोई विधायक पार्टी के निर्देश का उल्लंघन कर किसी दूसरे के पक्ष में वोट डालता है या नोटा का इस्तेमाल करता है तो उसे विधायक के रूप में अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता। हालांकि, पार्टी उसे निकालने समेत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए आजाद है। हालांकि वह विधायक बना रह सकता है. उसके वोट को पार्टी निर्देशों का पालन नहीं होने के बावजूद अमान्य करार नहीं दिया जा सकता।