नई दिल्ली। यूं तो भारत देश में गाय को मां का दर्जा मिला है। कहा जाता है कि गाय भगवान की वह कृति है जो संसार में मानवों के लिए वरदान है। खासतौर पर भारत देश में ही गाय की अनेक नस्लें मौजूद हैं लेकिन जानकारी के अभाव में हम गौ माता के बारे में ज्यादा नहीं जान पाते हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक गौ माता की नस्ल की जानकारी दे रहे हैं। इस नस्ल को गीर गाय की नस्ल के नाम से जाना जाता है। ये गाय की गुजरात के काठियावाड़ के दक्षिण में गीर नामक जंगलों में पाई जाती है।
गीर गाय की विशेषता
इस गाय का ललाट चौड़ा और उभरा होता है। कान लम्बे और बड़े होने के साथ लटके होते हैं। गीर नस्ल की गाय का रंग भी विशेष होता है। इनका मूल रंग सफेद होता है। ये गाय मध्यम से लेकर बड़े आकार तक की होती है। इनका औसत वजन 385 किलोग्राम और ऊंचाई 130 सेंटीमीटर होती है। इसके साथ ही गीर नस्ल की गाय का रंग एक सा होता है। माना जाता है कि ये गाय प्रथम संवर्धन पर 5000 लीटर तक दूध देती है। अपने जीवनकाल में 6 से 12 बच्चे एक गिर गाय पैदा करती है। औसतन ये गाय प्रतिदिन 12 से 15 लीटर तक दूध देती है।
गीर गायों के संवर्धन में नूर महल आया आगे
गीर गायों के संवर्धन और इनके संरक्षण का काम पूज्य आशुतोष जी महाराज ने शुरू किया। जिसको लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके शिष्य चिन्मयानंद जी इस काम में लगे हुए हैं। उन्होने इस संन्दर्भ में एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि जिस समय का इंतज़ार हम बहुत सालों से कर रहे थे, आज वो वक़्त आ गया है। गीर गौ पालकों के लिए एक ख़ुशी की ख़बर है। उन्होने भावनगर के प्रदीप सिंह राओल की सगवाड़ी गौशाला के साथ जसदन सत्यजीत खाचर और भाड़वा राघविंद्रसिंह जडेजा का जिक्र करते हुए कहा है कि इन विभूतियों ने इस नस्ल की गाय के संवर्धन के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। अब देशवासी भी इन गीर गायों का लाभ प्राप्त कर सकें इसके लिए कामधेनु गौशाला (नूरमहल, पंजाब) अब इन राज परिवारों के उत्तम नस्ल के गीर साँड़ों का सीमेन गोपालकों को उपलब्ध करवा रहा है। इसके साथ ही यह जानकारी भी दी है कि गीर ब्रीडर्ज़ संगठन (हलवद, गुजरात) से यह सीमेन पहुँच चुका है। आप यह सीमेन प्राप्त करने के लिए संपर्क कर सकते हैं- 98254-15226, 98159-30186, 75675-13273