पटना। नीतीश कुमार के सलाहकार और बिहार विकास मिशन के कर्ताधर्ता ‘पीके’ यानी प्रशांत किशोर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं पीके यानि प्रशांत किशोर कहां हैं ये सवाल बीजेपी नेता सुशील मोदी बार-बार नीतीश कुमार से पूछ रहे हैं, लेकिन अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है।
बिहार के ही राजेश कुमार जायसवाल नाम के शख्स ने प्रशांत किशोर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ‘क्यो वारंटो’ दाखिल किया है। इसमें संविधान की कुछ धाराओं का जिक्र कर ये सवाल उठाया गया है कि आखिर प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री के परामर्शी सलाहकार के पद पर क्यों बहाल किया गया, और उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा क्यों दिया गया ?
अगर प्रशांत किशोर को ये पद दिया भी गया तो नियमों के अनुसार पिछले छह महीने से प्रशांत ने मंत्रिमंडल के किसी भी काम में भाग नहीं लिया और इसलिए उन पर कार्यवाही होनी चाहिए।
राजेश का कहना है कि प्रशांत किशोर जब से बिहार विकास मिशन के कर्ताधर्ता बने हैं और राज्य मंत्री का दर्जा उन्हें मिला है तब से वो एक बार भी मंत्रीपरिषद के किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं हुए हैं। इलसके अलावा वो बिहार विकास मिशन के कार्यालय में भी कभी नहीं पहुंचे। ऐसे में वो किस बात के लिए सरकारी वेतन और सेवाएं ले रहे हैं।