नई दिल्ली। बिहार में बहार हो नीतीश कुमार के नारे के साथ साल 2015 में राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर जदयू सत्ता में आयी थी। उसके पहले जदयू एनडीए की सहयोगी पार्टी थी। इसी साझा एजेन्डे के चलते बिहार में भाजपा और जदयू ने अपनी सरकार बनाई थी। दूसरी बार बिहार में सुशासन के नाम पर आई नीतीश सरकार में भाजपा की बड़ी भागेदारी थी। लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव के पहले जब भाजपा ने अपना प्रधानमंत्री पद के लिए जब गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र भाई दामोदर दास मोदी के नाम की घोषणा की तो नीतीश कुमार ने इसका विरोध करते हुए नाता तोड़ दिया था।
नये साथियों का तलाश कर विधान सभा में भाजपा को मात देने के लिए नीतीश कुमार ने महागठबंधन बनाया। जिसमें लालू प्रसाध यादव की पार्टी राजद और कांग्रेस भी उसी सहयोगी बनी। लेकिन इसके बाद भी नीतीश कुमार का एनडीए से प्रेम कम नहीं हुआ गाहेबगाहे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की तारीफ नीतीश कुमार कर ही देते थे। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण था जब पूरा विपक्ष संसद से लेकर सड़क तक नोटबंदी के खिलाफ लामबंद था तो नीतीश कुमार ने नोटबंदी के फैसले का स्वागत करते हुए पीएम मोदी की तारीफ की थी। लालू और नीतीश की खटपट की खबरें मीडिया में आती रही हैं। लेकिन बीते कई महीनों से इस तरह की खबरों की बाढ़ सी आ गई है। लेकिन सरकार के रिश्ते बराबर बने रहे हैं। हाल में जब पूरे विपक्ष ने कांग्रेस के निमंत्रण पर चाय पार्टी के जरिए राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मथंन किया तो उस बैठक से नीतीश कुमार ने दूरी ही बनाकर साफ संकेत दिए थे। तन भले ही विपक्ष का है लेकिन मन पर एनडीए का राज है। इसीलिए ठीक अगले दिन पीएम मोदी के आमंत्रण पर वो दिल्ली आये और उनके साथ लंच भी किया।
बात यहीं नहीं खत्म हुई जब एनडीए ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया तो सबसे पहले नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर रामनाथ कोविंद को बधाई दी है। इसके बाद विपक्ष को दरकिनार करते हुए नीतीश कुमार ने पार्टी के साथ बैठक कर रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। बस सारा खेल इसी के बाद गड़बड़ हो गया। नीतीश बनाम लालू से प्रदेश ही नहीं दोनों पार्टियों के साथ महागठबंधन में भी दरार बड़ी होने लगी है।दोनों पार्टियों के महारथी एक दूसरे पर जमकर निशाना और तंज मारते नजर आ रहे हैं। महागठबंधन में मचे तनाव के बाद जेडीयू नेता केसी त्यागी ने साफ कहा है कि महागठबंधन से ज्यादा हम बीजेपी के साथ कंफर्टेबल थे। इसके साथ ही अब जीएसटी को लेकर भी जेडीयू ने साफ किया है। इस मुद्दे पर भी वह विपक्ष के साथ नहीं बल्कि सरकार के साथ रहेगी। जेडीयू ने इतना ही नहीं ये भी बता दिया है सरकार के सभी अच्छे कामों में जेडीयू साथ खड़ी है।
हांलाकि महागठबंधन को लेकर इसमें शामिल सभी दलों का कहना है कि इस तकरार का असर सरकार पर नहीं पड़ेगा। लेकिन अंदरखाने से ये खबरें आ रही हैं। दोनों पार्टी की बीच की तकरार आने वाले समय महागठबंधन पड़ी दरार को टूटने की तरफ ले जा सकती है। हांलाकि दोनों पार्टियां अभी ऐसी स्थिति से इनकार कर रहीं हैं। लेकिन हालत देखकर लग रहा है कि जल्द ही कोई बड़ा धमाका बिहार की राजनीति में हो सकता है।