नई दिल्ली। देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पारा गरम है। विपक्ष लगातार अपने सहयोगियों को लामबंद करने में जुटा है। इस सन्दर्भ में सोनिया गांधी ने विपक्ष की एकजुटता दिखाने के लिए बीते शुक्रवार को एक भोज का आयोजन किया था। लेकिन इस आयोजन में सारे विपक्ष की मौजूदगी रही लेकिन जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए हैं। हांलाकि नीतीश कुमार ने दी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से सबसे पहले मुलाकात की थी।
अब जब कांग्रेस अध्यक्ष ने राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर अपने सभी सहयोगी और विपक्ष के दलों को सरकार के खिलाफ लामबंद हो प्रत्याशी उतारने के लिए अपनी एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए भोज का आयोजन किया तो नीतीश कुमार नदारद रहे। जब कार्यक्रम में शामिल ना होने की बात पूछी गई तो नीतीश कुमार ने साफ कहा कि व्यस्तता के चलते वे नहीं शामिल हो सके।
वहीं आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बुलावे पर अब नीतीश कुमार मॉरीशस के प्रधानमंत्री अनिरूद्ध जगन्नाथ के सम्मान में हो रहे लंच समारोह में जाने की बात कह रहे हैं। नीतीश के सोनिया के लंच में शामिल ना हो ने के बाद पीएम मोदी के लंच में जाने की बात और लंच के बाद पीएम मोदी के साथ बैठक को लेकर राजनीति के पंडित अभी से ही नीतीश और भाजपा के बीच खत्म हो रही दूरियों को लेकर अपनी गणित लगाने लगे हैं।
हांलाकि इस बात के बढ़ने पर खुद सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि लोग लंच में शामिल ना होने की बात का गलत अर्थ लगा रहे हैं। जबकि उनका कहना है कि 5 दिन पहले ही उन्होने कांग्रेस के महासचिव अहमद पटेल को यह जानकारी दे दी थी। उन्होने साफ कह दिया थी कि उनकी तरफ से शरद यादव शामिल होंगे। नीतीश और मोदी सरकार की नजदीकियां इस बात से भी ज्यादा बढ़ थी कि जब नीतीश ने मोदी सरकार से यह आग्रह किया था, कि सरकार राष्ट्रपति चुनाव के लिए आमसहमति बनाने पर बल दे। हांलाकि नीतीश कुमार ने कहा है कि महागठबंधन के हर फैसले का वो आदर करते हैं।