नई दिल्ली। अमरनाथ यात्रा को लेकर नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने एक अहम फैसला लिया है। एनजीटी ने अमरनाथ यात्रा के दौरान जयकारे लगाने और मंत्रों के उच्चारण पर रोक लाग दी है। एनजीटी ने अमरनाथ को साइलेंस जोन घोषित करते हुए कहा कि ये इलाका पर्याकरण की द्दष्टि से बेहद संवेधनशील है और इस इलाके में ग्लेशियरों की संवेधनशीलता के ध्यान में रखते हुए यहां शोर-शराबा नहीं होना चाहिए। यात्रियों की संख्या भी सीमित होनी चाहिए। वहीं एनजीटी के फैसले के बाद इस विरोध शुरू हो गया है। केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी सरकार ने इस फैसलो को एंटी- हिंदू बताते हुए इसका विरोध किया है।
एनजीटी ने अमरनाथ श्राइन बोर्ड को आदेश देते हुए कहा कि अमरनाथ में घंटियां नहीं बजनी चाहिए। इसके अलावा यात्रियों को मोबाइल फोन ले जाने की भी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि श्राइन बोर्ड को यह ध्यान रखना चाहिए कि वहां स्टोर रूम बनना चाहिए, जहां लोग अपने सामान को जमा करा सकें।’ यही नहीं एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि श्राइन बोर्ड को यह तय करना चाहिए कि लोग आखिरी चेक पोस्ट से अमरनाथ गुफा तक एक ही लाइन में जाएं।
इस बीच इस पूरे मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है और बीजेपी ने इसे ऐंटी-हिंदू अजेंडा करार दिया है। पार्टी के दिल्ली प्रदेश के प्रवक्ता तेजिंदर पाल बग्गा ने कहा कि जिस तरह से एनजीटी के बयान हिंदुओं के खिलाफ आते हैं, हम उसके विरोध में हैं। अब अमरनाथ यात्रा को लेकर कहा गया है कि आप वहां जयकारे नहीं लगा सकते हैं, आप वहां मंत्रोच्चार नहीं कर सकते हैं। अगर हम वहां ये सब काम नहीं कर सकते तो फिर वहां पूजा पाठ की क्या जरूरत है।