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विज्ञान को लेकर छात्रों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत: जावड़ेकर

prekash विज्ञान को लेकर छात्रों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत: जावड़ेकर

नई दिल्ली। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि विद्यार्थियों में वैज्ञानिक अभिरुचि अंतर्निविष्ट करने के लिए हमें उन्हें समाज पर विज्ञान के प्रभाव के बारे में जागरूक बनाना होगा। जावड़ेकर ने यह बात बीते गुरुवार को यहां विद्यार्थी–वैज्ञानिक संपर्क कार्यक्रम-‘’जिज्ञासा’’ के यहां आधिकारिक शुभारंभ के मौके पर कही। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) केन्द्रीय विद्यालय संगठन के साथ मिलकर इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन करेगी। इसमें स्कूल के विद्यार्थियों और वैज्ञानिको को आपस में जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि विद्यार्थियों को कक्षा में सिखाई गई बातों को योजनाबद्ध अनुसंधान प्रयोगशाला पर आधारित शिक्षण के साथ समुचित रूप से जोड़ा जा सके। विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान एवं पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन त‍था मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की उपस्थिति में इस आशय के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि हमारी जीवन शैली में बदलाव लाने में विज्ञान ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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बता दें कि केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन और सीएसआईआर का आभार प्रकट करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि इन प्रमुख संस्थाओं तक पहुंच केवल शुरूआत भर है। सीएसआईआर वैज्ञानिक विकास के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की तलाश करेगी। उन्होंने बताया कि वह समय-समय पर इसकी स्थिति का जायज़ा लेंगे। डा हर्षवर्धन ने कहा कि जिज्ञासा कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नवीन भारत के विज़न और वैज्ञानिक समुदाय और संस्थाओं के ‘’वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व’’ (एसएसआर) से प्रेरित है। यह एक ऐतिहासिक दिन है जब दो मंत्रालय युवाओं के संबंध में सहयोग कर रहे हैं, जो राष्ट्र का भविष्य हैं। आज ही डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती भी है, जो समस्त भारतवासियों के लिए प्रेरणादायी तथा आदर्श हैं।

साथ ही उन्होंने कहा कि सीएसआईआर कई दशकों से देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दे रही है। सीएसआईआर मानव संसाधन विकास विशेषकर विभिन्न क्षेत्रों में पीएचडी कार्यक्रमों के माध्यम से युवा शोधकर्ताओं को प्रशिक्षण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
‘’जिज्ञासा’’ जहां एक ओर स्कूल के विद्यार्थिओं और उनके अध्यापकों में जिज्ञासा की संस्कृति को, वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक अभिरूचि को अंतर्निविष्ट करेगी। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 100,000 विद्यार्थियों और लगभग 1000 अध्यापको को सालाना तौर पर लक्षित करते हुए 1151 केन्द्रीय विद्यालयों को सीएसआईआर की 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के साथ जोड़े जाने की संभावना है।

यह कार्यक्रम विद्यार्थियों और अध्यापकों को सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं का दौरा कर और लघु विज्ञान परियोजनाओं में भाग लेकर विज्ञान में पढ़ाई जाने वाली सैद्धांतिक अवधारणाओं को व्यवहारिक अनुभव करने में सक्षम बनाएगा। इस संपर्क के मॉडल में विद्यार्थी आवासीय कार्यक्रम, वैज्ञानिक, शिक्षकों की भूमिका में और शिक्षक वैज्ञानिकों की भूमिका में, प्रयोगशाला से जुड़ी विशेष गतिविधियां/ मौके पर प्रयोग, स्कूलों में वैज्ञानिकों के दौरे/पहुंच कार्यक्रम, विज्ञान और गणित क्लब, स्कूलों में लोकप्रिय व्याख्यान श्रृंखलाएं/प्रदर्शन कार्यक्रम, विद्यार्थी प्रशिक्षुता कार्यक्रम, विज्ञान प्रदर्शनियां, राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के प्रोजेक्ट, अध्यापक कार्यशालाएं, और टिंकरिंग लैबोरेट्री शामिल हैं। ‘’जिज्ञासा’’ सीएसआईआर द्वारा अपने प्लेटीनम जुबली वर्ष समारोह के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर की गई महत्वपूर्ण पहलों में से एक है। सीएसआईआर इस कार्यक्रम के साथ अपने वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व को व्यापक और विस्तृत बना रही है।

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