नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा को जिन अभिनेत्रियों ने ऊचाई के शिखर पर पहुंचाया हैं उनमें से एक नाम नर्गिस दत्त का भी हैं। नर्गिस राज्यसभा के लिए नॉमिनेट होने और पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली पहली हीरोइन थीं। नर्गिस दत्त को साल 1968 में बेस्ट एक्ट्रेस का पहला फिल्मफेयर अव्रार्ड उन्हें ही दिया गया था। 1 जून को नर्गिस दत्त का जन्मदिन होता हैं।
1940 से लेकर 1950 के बीच नर्गिस ने कई बड़ी फ़िल्मों में काम किया। जैसे कि-बरसात, आवारा, दीदार और श्री 420। तब राज कपूर का दौर था। नर्गिस ने राज कपूर के साथ 16 फ़िल्में की और ज़्यादातर फ़िल्में सफल साबित हुईं। इस बीच दोनों में नजदीकियां भी बढ़ने लगीं और दोनों को एक दुसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया।
समय अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था। राजकपूर जब 1954 में मॉस्को गए तो अपने साथ नरगिस को भी ले गए। कहते हैं यहीं दोनों के बीच कुछ ग़लतफ़हमी हुई और दोनों के बीच इगो की तकरार इतनी बढ़ी कि वह यात्रा अधूरी छोड़कर नर्गिस इंडिया लौट आईं। 1956 में आई फ़िल्म ‘चोरी चोरी’ नर्गिस और राजकपूर की जोड़ी वाली अंतिम फ़िल्म थी।
राज कपूर से अलग होने के ठीक एक साल बाद नर्गिस ने 1957 में महबूब ख़ान की ‘मदर इंडिया’ की शूटिंग शुरू की। मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग गई। सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नर्गिस को बचाया और दोनों में प्यार हो गया।
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नरगिस एक अभिनेत्री से ज्यादा एक समाज सेविका थीं। उन्होंने असहाय बच्चों के लिए काफी काम किया। उन्होंने सुनील दत्त के साथ मिलकर ‘अजंता कला सांस्कृतिक दल’ बनाया जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे और उनका मनोरंजन करते थे
सृष्टि विश्वकर्मा