नई दिल्ली। गंगा में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री जल संसाधन डॉ सत्यपाल सिंह ने हिंदुओं से आह्वान किया था कि वो गंगा की सफाई को देखते हुए उसमें अस्थि विसर्जन न करें, बल्कि अस्थि को जमा करके उसे मिट्टी में दफन कर दे और उसके ऊपर एक पेड़ लगा दे। उनके इस बयान को लेकर अब विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। संत, तीर्थपुरोहित, भारत साधु समाज समेत कांग्रेस नेताओं ने मंत्री के इस बयान को शर्मनाक बताते हुए उन्हें तुरंत पद से बर्खास्त करने की मांग की है। इस आह्वान को लेकर संतों का कहना है कि सरकार संतों को भू-समाधि के लिए जमीन दे नहीं रही और ऊपर से अब जल समाधि पर भी रोक लगाने की बात करके क्या साबित करना चाहती है।
गौरतलब है नमामि गंगे परियोजना के शिलान्यास समारोह में केंद्रीय राज्यमंत्री ने गंगा में अस्थि विसर्जन और संतों के जल समाधि रोकने को लेकर भाषण दिया था। इस बयान को लेकर भीमगोड़ा जगन्नाथ धाम में आयोजित संतों की बैठक को अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि आनादिकाल से चली आ रही परम्पराओं पर केंद्र के मंत्री बयान देकर करोड़ो हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचा रहे हैं, जिसे कतई बर्दाश नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि पतित पावनी मां गंगा सारे जगत की पालनहार और मोक्षदायिनी है। मां गंगा के मात्र आचमन लेने से ही इंसान को उसके जन्म-जन्मांतरों के पापों से मुक्ति मिलती है। इसलिए बयान देने वाले मंत्री को जल्द से जल्द बर्खास्त कर देना चाहिए।