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दागी नेताओं पर टूटा मुसीबतों का पहाड़, मोदी सरकार 12 स्पेशल कोर्ट बनाने को तैयार

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नई दिल्ली। मोदी सरकार ने सांसदों और विधायकों पर चल रहे आपराधिक मामलों के निपटारे को लेकर बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने इन मामलों को निपटाने के लिए एक साल तक 12 स्पेशल कोर्ट चलाने पर सहमति जताई है। इन स्पेशल कोर्ट में लगभग 1571 आपराधिक केसों पर सुनवाई होगी। ये केस साल 2014 तक के सभी नेताओं के द्वारा दायर मामलों के तहत है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इन केसों का निपटारा एक साल के अंदर किया जाएगा,जिसकी पुष्टी कानून मंत्री की तरफ से दाखिल हलफनामें में हुई है। गौरतलब है कि इससे पहले इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई  के दौरान चुनाव आयोग ने दागी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जबकि केंद्र सरकार ने इसे दरकिनार करते हुए 6 साल वाले पुराने ढ्ढरे को ही लागू रखा था।

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गुजरात और हिमाचल चुनाव में वोटिंग से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं को करारा झटका देते हुए उनके खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई जल्द पूरी करने के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का प्लान पेश करने को कहा था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि छह हफ्ते में सरकार अपना ड्राफ्ट प्लान कोर्ट को सौंपे, जिससे फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या और समय की जानकारी भी रहे, जिससे की किसी दागी नेता पर चल रहे केस का निपटारा एक साल के अंदर हो सके। हाल ही में आई एडीआर ने 4852 विधायकों और सांसदों के हलफनामे का अध्ययन करने के बाद ये रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें दागी नेताओं के नामों का खुलासा हुआ था।

बताते चलें कि जिन 51 जनप्रतिनिधियों ने अपने हलफनामे में महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात स्वीकार की है उनमें से 3 सांसद और 48 विधायक हैं। इसके अलावा 334 ऐसे उम्मीदवार थे जिनके खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध के मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने टिकट दिया था।  हलफनामे के अध्ययन से ये बात भी निकलकर सामने आई थी कि आपराधिक छवि वाले सबसे ज्यादा सांसद और विधायक महाराष्ट्र में हैं, जहां ऐसे लोगों की संख्या 12 थी। दूसरे और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और ओडिशा हैं।

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