नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा पिछले साल आठ नवंबर को की गई नोटबंदी की उपलब्धिया गिनाने में सरकार व्यस्त है। सरकार ने नोटबंदी देशभर में कैशलेस लेनदेने के बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए लागू की थी। वहीं अब मोदी सरकार अपने इसी उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए बैंको में मिलने वाली चेक की सुविधा को भी खत्म कर सकती है
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स का कहना है कि मोदी सरकार जल्द ही चेक की व्यवस्था को खत्म करने का आदेश जारी कर सकती है। संगठन के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि सरकार क्रेडिट और डेबिट कार्डों के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा दे रही है, और इसे अधिक सुचारु और लोकप्रिय बनाने के लिए वह चेकबुक की सुविधा को भी खत्म कर सकती है।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी से पहवले तक केंद्र सरकार को नए करेंसी नोटों की छपाई पर लगभग 25,000 करोड़ रुपये खर्च किया करती थी, और उनकी सुरक्षा पर 6,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम खर्च करनी पड़ती थी। चेक की सुविधा को खत्म करने से कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में कितना लाभ होगा, इस सवाल के जवाब में प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि अधिकतर व्यापारिक लेनदेन चेक के ज़रिये ही होते है। उनका कहना था कि फिलहाल देश में 95 फीसदी लेनदेन नकदी या चेक के ज़रिये ही होते हैं। नोटबंदी के बाद नकदी के लेनदेन में कमी आई, सो, चेकों का इस्तेमाल निश्चित रूप से बढ़ा है।