पटना। आगामी 23 फरवरी से शुरू हो रहे बिहार विधानसभा के बजट सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सतापक्ष के विधायकों के ही विरोध का सामना करना पड़ सकता है। महागठबंधन के विधायक मिलकर विधायक फंड बढ़ाने की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है। महागठबंधन सरकार के विधायकों ने विधायक फंड बढ़ाने की मांग की है। इनमें से कुछ विधायक राजद सुप्रीमो लालू यादव के पार्टी के है। इन विधायकों ने साफ कर दिया है कि महंगाई के इस दौर में दो करोड़ का विधायक फंड ऊंट के मुंह में जीरे जैसा है। इन विधायकों ने साफ कर दिया है कि अगर विधायक फंड नहीं बढ़ा तो ये सदन के अंदर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे।
राजद विधायक राहुल तिवारी का कहना है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में लगभग 200 गांव हैं। विधायक फंड के रूप में उन्हें दो करोड़ मिलते है। सामुदायिक भवन में करीब दस लाख लग जाते हैं। पोखर बनाने में भी लाखों रूपये खर्च हो जाते हैं। 2 करोड़ जैसी छोटी सी रकम में क्षेत्र का विकास कर पाना नामुमकिन सा है।
वहीम, विधायक फंड बढ़ाने के मामले में राजद के विधायक भाई वीरेंद्र का कहना है कि विधायक फंड बढ़ना चाहिए। अगर फंड नहीं बढ़ता है तो विधायकों को इसके लिए आवाज उठानी चाहिए। राजद विधायक भोला यादव का कहना है कि फंड बहुत कम हैं। आप एक पंचायत के मुखिया को एक करोड़ देते हैं जबकि 37 से 45 पंचायतों के जनप्रतिनिधि को सिर्फ दो करोड़ रूपये दे रहे हैं। महंगाई की दर जिस रफ्तार से बढ़ रही है उसको देखते हुए राज्य सरकार को विधायक फंड में भी इजाफा करना चाहिए।
विधायक फंड बढ़ाने की मांग केवल राजद विधायक ही नहीं बल्कि जदयू विधायक श्याम रजक ने भी यही माना है कि विधायक फंड बढ़ना चाहिए। बिहार सरकार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी से जब इस बाबत दूरभाष पर पूछा गया तो उनका कहना था इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता हूं। वहीं नीतीश के सबसे करीबी मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि विधायकों के सुझाव प्राप्त हुए हैं और सरकार उनकी मांगों पर विचार कर रही है।