नई दिल्ली। केंद्र सरकार अब आपके PF खाते में सेंध लगाने पर विचार कर रही है। नरेंद्र मोदी सरकार अब न्यूनतम अंशदान बेसिक सैलरी को 10 फीसदी कर सकती है और इसके लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) का न्यासी बोर्ड अपनी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अनिवार्य अंशदान को घटाकर 10 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को कल मंजूरी दे सकता है। मौजूदा व्यवस्था के तहत कर्मचारी और नियोक्ता कर्मचारी भविष्य निधि योजना (ईपीएफ), कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) और कर्मचारी जमा सम्बद्ध बीमा योजना (ईडीएलआई) में कुल मिला कर मूल वेतन की 12-12 प्रतिशत राशि का योगदान (प्रत्येक) करते हैं। साथ ही ईपीएफओ की बैठक आज यानी 27 मई 2017 को पुणे में होनी है। बैठक के एजेंडे में यह विषय भी है। इसके तहत कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा अंशदान को घटाकर मूल वेतन (मूल वेतन व महंगाई भत्ता सहित) का 10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।
बता दें कि इस तरह के कदम से कर्मचारियों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा राशि बचने की उम्मीद है क्योंकि श्रन मंत्रालय को इस बारे में कई ज्ञापन मिले हैं। जबकि एस मामले में नियोक्ताओं की देनदारी भी कम होगी। वहीं श्रमिक संगठन इसका विरोध करने के बारे में सोच रहे हैं उनका कहना है कि इससे सामाजिक योजनाएं कम होंगी और उनका काफी नुकसान भी होगा। ईपीएफओ के एक न्यासी और भारतीय मजदूर संघ के नेता पी जे बनसुरे ने कहा कि हम इस प्रस्ताव का विरोध करेंगे। यह श्रमिकों के हित में नहीं है।’ वहीं बैठक में शेयर बाजारों में निवेश बढ़ाने को लेकर भी विचार-विमर्ष होगा। बैठक में शेयर बाजारों में निवेश को बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक करने के प्रस्ताव पर भी विचार होगा।
साथ ही ईपीएफओ की वित्त, निवेश और आडिट समिति (एफएआईसी) अपनी बैठक में इक्विटी निवेश यानी एक्सचेंज (ईटीएफ) में निवेश को मौजूदा 10 प्रतिशत से बढाकर 15 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर विचार करेगी। बैठक की अध्यक्षता श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय करेंगे। हालांकि इस बारे में अंतिम फैसला ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) को करना है। अगर सीबीटी की मंजूरी मिल जाती है तो ईपीएफओ 2017-18 में ईटीएफ में 15000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर सकेगा।