गांधीनगर। गुजरात में चुनाव आयोग द्वारा चुनाव का ऐलान करने के बाद राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है। एक तरफ बीजेपी के पास उसके 20 साल का विकास है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस बीजेपी के इन 20 सालों को कुशासन बताकर उसे रोकने की कोशिश कर रही है। दोनों ही पार्टीयों के बीच इस बार का गुजरात चुनाव इज्जत का सवाल बन गया है।
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही एक दूसरे को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। वहीं कांग्रेस को जहां गुजरात की सत्ता पर काबिज होना है तो वहीं बीजेपी अपना गढ़ बचाने की जुगत में लगीं हुई है। हर राज्य के चुनाव के तरह गुजरात का चुनाव भी जातिगत राजनीतिक के अतंर्गत आ गया है। गुजरात में राजनीतिक पार्टीयों को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने वाले पाटीदार समुदाय को बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपने साथ लाने के जुगत में लगीं हुई है।
एक तरफ जहां पीएम मोदी पटेलों के गढ़ में जाकर जनसभाएं और रोड़ शौ कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस आरक्षण के बहाने पटेलों को साधने का प्रयास कर रही है। इसी बीच गुजरात से आई खबर बीजेपी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। दरअसल गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने बातों ही बातों में कांग्रेस का समर्थन कर दिया है। बता दें कि कांग्रेस के नेताओं और हार्दिक पटेल के बीच चली बैठक खत्म हो चुकी है।
बैठक के खत्म होने के बाद पटेलों के नेता हार्दिक पटेल का कहना है कि हम गुजरात में राहुल गांधी के कार्यक्रम का न तो विरोध करेंगे और न ही समर्थन करेंगे। उन्होंने बताया कि कांग्रेस उनकी 5 में से 4 मांग मानने को तैयार हो गई है। इस मामले से मौटे तौर पर धूल 7 नवंबर को ही साफ हो पाएगी, जब कांग्रेस पटेलों को आरक्षण देने के अपने फैसले पर हां या न की मुहर लगाएगी। अब पटेलों को दिया जाने वाला आरक्षण ही ये तय करेगा की गुजरात में कमल खिलेगा या फिर कांग्रेस का हाथ गुजरात की सत्ता अपने नाम कर लेगा।