नई दिल्ली। दुनिया के कई बड़े देशों ने भारत और चीन जैसे विकासशील और बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों को विश्व व्यापार संगठन द्वारा मिल रहे विशेष लाभ को खत्म करने की वकालत कर रहे हैं। ऐसे में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभू ने जोर देकर कहा कि भारत विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत उस विशेष छूट का हकदार है, जिसके तहत कम आय वाले देशों को माल को विकसित देशों के बाजारों में मुक्त या रियायती दर पर प्रवेश मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत में अब भी गरीबों की संख्या 60 करोड़ से ज्यादा है। गरीबी का हवाला देते हुए प्रभू ने अमेरिका और उन देशों की आलोचनाओं को खारीज करते हुए कहा कि कुछ देश अपनी खुद की घोषित विकास की स्थिति के आधार पर व्यापार के नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि व्यापार में निम्न आय वाले देशों के माल के साथ विशेष और रियायत व्यहवार WTO की व्यवस्था का आंतरिक हिस्सा है। जमीनी सच्चाई तो ये है कि कुछ देशों की प्रति व्यक्ति आय काफी निचले स्तर पर है। आपको बता दें कि अमेरिका व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर ने डब्लयूटीओं के 11 मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के पूर्ण सत्र में संबोधन के दौरान इस तरह विशेष रयायतों पर सवाल उठाए थे। लाइटहाइजर ने कहा कि विकास की स्थिति को लेकर WTO को अपनी समझ स्पष्ट करनी होगी। हम ऐसी स्थिति नहीं देख सकते जबकि नए नियम सिर्फ कुछ देशों पर लागू हों और बाकी पर कम आय वाले देश के दर्जे के नाम पर छूट मिलती रहे।
हमारे विचार में इसमें कुछ गलत है जबकि दुनिया के पांच या छह अमीर देश खुद के विकासशील देश होने का दावा करते हैं। इसी का जवाब देते हुए प्रभू ने कहा कि विशेष और अलग तरह का व्यवहार डब्लूटिओं का महत्वपूर्ण तत्व है। आप इन सच्चाइयों को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि कुछ तबके विकास की प्रक्रिया में पीछे छूट गए हैं। प्रभु ने पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम लगातार देख रहे हैं कि WTO में विकास पर चर्चा को कुल जीडीपी आंकड़ों पर बहस के जरिए बदला जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में हमें हाल के वर्षों में अपनी GDP की वृद्धि दर पर गर्व है, पर हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि भारत में 60 करोड़ लोग गरीब हैं।