बांदा। भदई अमावस्या को लेकर लाखों श्रद्धालु धार्मिकनगरी चित्रकूट पहुंचते हैं। दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामनाओं को लेकर चित्रकूट धाम आते हैं। लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए इन्हें कितना जोखिम भरा सफर तय करना पड़ा है यह आप इन तस्वीरों में देख सकते हैं। श्रद्धालुओं को ट्रेनों की छतों और इंजनों में बैठकर सफर करना पड़ रहा है। यहां तक की इस तरह के सफर में इनकी जान भी जा सकती है।
दरअसल श्राद्धलुओं के आने जाने के लिए यहां समुचित व्यवस्था नहीं है न तो यहां पर जरूरत के हिसाब से ट्रेने चलाई जाती हैं और न ही बसें। लिहाजा श्रद्धालुओं को ट्रेनों की छतों व ट्रेन के इंजनों में बैठकर मौत का सफ़र तय करना पड़ता है। रेलवे इक्का दुक्का मेला ट्रेने चलाता है लेकिन श्राद्धलुओं की भीड़ के आगे सब बौनी ही साबित होती हैं। ऐसा नहीं हैं की दुर्घटनाएं नहीं होती। दुर्घटनाएं भी होती हैं लेकिन इन सबसे कोई सबक नहीं लेता। आप खुद तस्वीरों में देखकर दांतों तले उंगली दबा लेंगे की किस तरह से लोग मौत का सफ़र करने को मजबूर हैं।
वहीं जब कुछ श्राद्धलुओं से बात की गयी तो उन्होंने ट्रेनें बढ़ाये जाने की मांग की। उनकी मांग है की चित्रकूट बहुत बड़ा धाम है और यहां पर ट्रेने बढ़नी चाहिए। श्रद्धालुओं का यह भी कहना है की कई बार अधिकारियों से भी कहा गया लेकिन कोई नहीं सुनता नतीजन इन्हें जान हथेली पर रखकर सफर तय करना पड़ता है।