नई दिल्ली| विदेश राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह ने कहा है कि लैटिन अमेरिकी और कैरिबीयाई क्षेत्र (एलएसी) भारत के परमाणु आपूतिकर्ता समूह (एनएसजी) में प्रवेश और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार जैसी भारतीय विदेश नीति की पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। मेक्सिको में सोमवार को भारत-एलएसी की 7वीं सभा के उद्घाटन सत्र में सिंह ने कहा, “नई दिल्ली लैटिन अमेरिकी समुदाय और कैरिबीयाई देशों (सीईएलएसी) के विदेश मंत्रियों की तिकड़ी बनाते हुए वार्ता के जरिए भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन की तर्ज पर भारत-लैटिन अमेरिका और कैरिबीयाई वार्ता तंत्र की एक संभावना तलाश रहा है।
उन्होंने कहा, “एलएसी क्षेत्र संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार व विस्तार और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के सदस्य बनने की तमन्ना समेत वैश्विक शासन की संरचना में सुधार के लिए चल रहे प्रयास के लिए भी महत्वपूर्ण है। ब्राजील, अर्जेटीना और मेक्सिको एनएसजी के सदस्य हैं। सियोल में जून में हुई एनएसजी की बैठक में चीन ने सदस्यता के लिए भारत के प्रयास को पलीता लगा दिया था, लेकिन अर्जेटीना, ब्राजील और मेक्सिको ने समर्थन किया था। इसके अलावा भारत, जापान और जर्मनी के साथ ब्राजील जी-4 देशों का एक सदस्य है, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की मांग कर रहा है।
सिंह ने कहा कि भारत एलएसी क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को काफी महत्व देता है। उन्होंने आगे कहा कि अनिश्चित वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में, तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था के रूप में भारत लैटिन अमेरिका पर एक उभरते आर्थिक ध्रुव के रूप में बड़ा दांव लगा रहा है। सिंह ने कहा, “संयुक्त रूप से 40 खरब डॉलर के औसत विकास दर के साथ एलएसी क्षेत्र की एक बड़ी आर्थिक ताकत है।