शख्सियत

क्रिकेट की दुनिया के शहंशाहः ब्रायन लारा

lara2 क्रिकेट की दुनिया के शहंशाहः ब्रायन लारा

आज के युग में क्रिकेट बस एक खेल तक सीमित ना रह कर जुनून बन गया है, और इसी जुनून ने दुनिया को कई ऐसे सितारे दिए जो भले ही क्रिकेट के मैदान से सन्यास ले चुके हो पर उनके योगदान को सदियों सदियों तक भूला नहीं जा सकेगा। आज हम जिसकी बात कर रहे हैं, उस क्रिकेटर ने पूरे दुनिया को अपने आगे नतमस्तक होने पर मजबूर कर दिया था, उसने ऐसी ऐसी चमत्कारी पारियां खेलीं, जो आने वाले कई दशकों तक युवा खिलाड़ियों के लिए प्ररणा बनती रहंेगी। जीहां हम बात कर रहे हैं वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज ब्रायन चार्ल्स लारा की। उन्होंने खासतौर से टेस्ट क्रिकेट में अपनी बल्लेबाजी से जो इतिहास रचा वह न केवल अद्भुत रहा, बल्कि विव रिचर्डस, सचिन तेंदुलकर जैसे महान बल्लेबाज भी उनके कायल रहे हैं। सचिन तो उन्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त बताते हैं। लारा 2 मई, 1969 को त्रिनिदाद में पैदा हुए थे। उन्होंने एक पारी के बाद तो अपनी बेटी का नाम ही सिडनी रख दिया, जानिए क्यों…। हम आपको उनके क्रिकेट करियर की शुरुआत और कुछ बेहतरीन पारियों के बारे में भी बताने जा रहे हैं। इनमें से कुछ पारियों को तो उन्होंने खुद यादगार बताया है… ठोकी बड़ी डबल सेंचुरी और इस पर रख दिया बेटी का नाम लारा की प्रतिभा का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं, कि उन्होंने अपनी 9वीं पारी में ही डबल सेंचुरी लगा दी थी, वह भी ऑस्ट्रेलिया की धरती पर।

lara2

जनवरी, 1993 में सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए सीरीज के तीसरे मुकाबले में लारा ने 277 रन की महान पारी खेली थी। उस समय वेस्टइंडीज टीम सीरीज में 1-0 से पीछे थी और उनकी इस पारी से मैच ड्रॉ कराने में सफल रही। लारा के अनुसार उन्होंने अपनी इसी पारी की याद में अपनी बेटी का नाम सिडनी रखा है और वह इसे अपनी टॉप-5 पारियों में रखते हैं। ठोक दिए 427 गेंदों में 501 रन नाबाद बात काउंटी क्रिकेट की है। जून, 1994 में ब्रिटानिक एश्योरंस काउंटी चौंपियनशिप में डरहम और वारविकशायर के बीच बर्मिंघम में मुकाबला खेला जा रहा था। लारा इस मैच में वारविकशायर की ओर से खेल रहे थे। डरहम ने पहली पारी में 556 रन बनाए थे। जवाब में लारा की टीम का पहला विकेट 8 रन पर ही गिर गया। इसके बाद लारा उतरे। उन्होंने मैदान के चारों ओर शॉट खेलते हुए 62 चौकों और 10 छक्कों की मदद से अकेले ही 427 गेंदों में 501 रन ठोक दिए। उनकी टीम ने इस मैच में कुल 810 रन जोड़े। हालांकि मैच ड्रॉ रहा। स्कूल लेवल पर करते थे 7वें नंबर पर बैटिंग, फिर कुछ यूं चमके बात सर गैरीफील्ड सोबर्स इंटरनेशनल स्कूल टूर्नामेंट, 1986 की है। वह उस समय 14 साल के थे और अंडर-19 क्रिकेट खेल रहे थे। दरअसल उस समय लारा को फातिमा कॉलेज की ओर से 7वें और 8वें नंबर पर बल्लेबाजी करने का मौका मिलता था, क्योंकि टीम में कई अच्छे खिलाड़ी थे, लेकिन जब किस्मत साथ देती है, तो कई बार निगेटिव से भी पॉजिटिव चीज निकल आती है। हुआ यह कि विपक्षी टीम के एक गेंदबाज ने हैट्रिक ले ली और लारा को काफी ओवर रहते ही जल्दी बल्लेबाजी करने का मौका मिल गया, फिर क्या था उन्होंने उसे भुना लिया और जोरदार सेंचुरी लगा दी। इसके बाद तो उन्हें ऊपरी क्रम में खेलने का अवसर मिलने लगा और उनका कमाल शुरू हो गया। यहां उनके कोच हैरी रामदास थे। लारा ने स्कूलब्वॉयज लीग में 126.16 के औसत से 745 रन बनाकर सबका ध्यान खींचा और जल्द ही उन्हें त्रिनिदाद की अंडर-16 टीम में चुन लिया गया। इसके एक साल बाद ही वह वेस्टइंडीज की अंडर-19 टीम में आ गए।

lara

सर गैरी सोबर्स बन गए फैन स्कूल क्रिकेट के दौरान ही लारा को सर गैरी सोबर्स ने खेलते हुए देखा और उनकी प्रतिभा के कायल हो गए। 1986 में सोबर्स टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करने वाले लारा उनसे मिलना चाहते थे। लारा के अनुसार बारबडोस के एक स्कूल टूर्नामेंट के दौरान उन्हें सर सोबर्स से मिलने का मौका मिला। सोबर्स ने उनकी खेलने की स्टाइल की प्रशंसा की, तो उनका उत्साह और बढ़ गया। इंटरनेशनल लेवल पर यूं चमकी किस्मत बात दिसंबर, 1990 के पाकिस्तान दौरे की है। लारा को वेस्टइंडीज के प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिल रही थी कि तभी लाहौर में खेले गए सीरीज के तीसरे टेस्ट में दाएं हाथ के बल्लेबाज कारलिस्ले बेस्ट को प्रैक्टिस के समय हथेली में गंभीर चोट लग गई और लारा को टेस्ट में डेब्यू करने का अवसर मिल गया। लारा ने एक बातचीत में कहा था कि उस दौरे में इमरान खान, वसीम अकरम और वकार यूनुस जैसे महान गेंदबाजों के सामने बैटिंग करना एक ऐसा अनुभव रहा, जो आज भी ताजा है। उन्होंने इस टेस्ट की पहली पारी में 44 रन की बेजोड़ पारी खेली थी, क्योंकि 37 रन पर टीम के 3 विकेट गिर गए थे। इस मैच में कार्ल हूपर ने सेंचुरी लगाई थी। इसी दौरे में नवंबर में लारा का वनडे डेब्यू भी हुआ था, जिसमें वह 11 रन ही बना सके थे। तोड़ा सोबर्स का 36 साल पुराना रिकॉर्ड उन्होंने अप्रैल, 1994 में एंटीगुआ के रिक्रीएशन स्टेडियम में एक नया माइलस्टोन पार कर लिया, जब उन्होंने अपने ही देश के महान ऑलराउंडर गैरी सोबर्स के टेस्ट क्रिकेट में सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर 365 रन नाबाद के 36 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया। लारा ने इंग्लैंड के खिलाफ इस मैच में 375 रन बनाए थे, जिसमें 45 चौके लगाए थे। इसके बाद अक्टूबर, 2003 में मैथ्यू हेडन 380 रन बनाकर इस पार किया था और जुलाई, 2006 में श्रीलंकाई बल्लेबाज महेला जयवर्धने ने कोलंबो में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 374 रनों की पारी खेलकर इस तक पहुंचने की कोशिश की थी, लेकिन तब से अब तक इस स्कोर तक कोई अन्य बल्लेबाज नहीं पहुंच पाया है।

एक रिकॉर्ड जो 12 साल से अटूट है ब्रायन लारा ने इंटरनेशनल क्रिकेट में कई महान पारियां खेली हैं, लेकिन उनकी एक पारी, जिसमें उन्होंने अटूट रिकॉर्ड बनाया था, वह फैन्स कभी नहीं भूलेंगे। लगभग 12 साल पहले 12 अप्रैल, 2004 को इंग्लैंड के खिलाफ एंटीगुआ में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट की सबसे बड़ी पारी का रिकॉर्ड बनाया था और उनके बल्ले से नाबाद 400 रन निकले थे। इस मैच में लारा वेस्टइंडीज के कप्तान भी थे। इस उपलब्धि के साथ ही उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज मैथ्यू हेडन के 380 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। उन्होंने 582 गेंदें खेली थीं, जिसमें 43 चौके और 4 छक्के शामिल थे।

Related posts

जन्मदिन विशेषः करियर से ज्यादा शादी को लेकर चर्चा में रहे कबीर बेदी

Vijay Shrer

100वीं जयंती के मौके पर अफ्रीका के ‘गांधी’ को गूगल ने ऐसे किया याद, जाने उनके बारें में खास बातें

mohini kushwaha

बर्थडे स्पेशल- लालू यादव के बर्थडे केक ने दूर की दो भाईयों के बीच की कड़वाहट

mohini kushwaha