नई दिल्ली। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है। पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध कहते हैं। मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व होता है और ऐसे समय में कई चीजों का दान करके अलग-अलग लाभ मिलते हैं।
वैसे तो गाय का दान सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है लेकिन पितृ पक्ष के दौरान इस कार्य को करना ज्यादा लाभकारी होता है। इसके साथ ही तिल, घी, अनाज, भूमि, कपड़ा, सोना, चांदी, गुण, नमक आदि का दान करना अधिक लाभकारी होता है।