लंदन। पिछले पांच वर्षों में दुनिया की सबसे प्रसिद्ध युवा महिलाओं में शामिल हो चुकीं मलाला युसुफजई की सफलता के पीछे उनकी मां तूर पेकाई का अहम योगदान है। नोबेल शांति पुरुस्कार के बाद मलाला को सयुंक्त राष्ट्र की ओर से शांति दूत बनाया गया है। लेकिन मां की नजर में वह सिर्फ चार साल की बच्ची हैं।
यह जानकारी मंगलवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली। मीडिया से अब तक दूर रहने वाली पेकाई ने बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में अपनी दास्तां साझा कीं। उन्होंने कहा कि मलाला विश्व नेताओं के साथ उठती बैठती है, लेकिन घर में वह अब भी छोटी बच्ची जैसी है।
पेकई ने कहा, “मलाला न तो ढंग से खाना खाती है और न ही ठीक से पानी पीती है। समय पर सोने की जगह वह देर रात तक पढ़ती रहती है। हम उसे फल खाने और नमाज पढ़ने को कहते हैं तो वह अपने भाइयों को कहने लगती है, लेकिन खुद नहीं करती है।”
मलाला की मां आज भी उन दिनों को याद करते हुए सिहर उठती हैं जब मलाला अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही थीं।
पिछले साल उन्होंने अपनी बेटी के जन्म दिन उपहार पर लिखा, “ तुम मेरी चार साल की बेटी हो।” वह मलाला पर हमले बाद से साल गिनती हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि मलाला ने इस हमले के बाद पुनर्जन्म लिया है।
पाकिस्तान से आने वाली पेकाई को इंग्लैंड आने पर शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन यहां वह नए दोस्त बना रही हैं और अपनी बेटी की तरह लोगों को शिक्षा दिलाने में मदद करना चाहती हैं। 45 साल की तूर पेकाई को शुरुआती दौर में ‘येस’ और ‘नो’ कहने में भी दिक्कत महसूस होती थी।
पाकिस्तान में भी उन्होंने पारंपरिक शिक्षा ग्रहण नहीं की थीं, लेकिन अब वह बर्मिंघम में अंग्रेजी की क्लास ले रही हैं।
मलाला की मां अपनी बेटी की ऊंची उड़ान पर फूली नहीं समाती हैं, लेकिन बेटी की सफलता पर उनकी आंखें भर आती हैं।