नई दिल्ली। श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी संगीत की दुनिया का जाना माना नाम थी। संगीत की दुनिया में आज भी श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी को याद किया जाता है। क्योंकि ये एक बहुत ही मशहूर संगीतकार थी। सुब्बुलक्ष्मी का जन्म 16 सितंबर 1916 में तमिलनाडु के मदुरै शहर में हुआ था। सुब्बुलक्ष्मी ने बहुत ही छोटी सी उम्र में संगीत की शिक्षा पूरी कर ली थी और मात्र 10 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला डिस्क रिकॉर्ड भी किया था। इसके बाद उन्होंने शेम्मंगुडी श्रीनिवास अय्यर से कर्णाटक संगीत में, तथा पंडित नारायणराव व्यास से हिंदुस्तानी संगीत में उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपना पहला संगीत मात्र 17 साल की उम्र में पेश किया। सुब्बुलक्ष्मी ने मलयालम भाषा से लेकर पंजाबी तक भारत की कई भाषाओं में गीत रिकॉर्ड किए।
बता दें कि सुब्बुलक्ष्मी न सिर्फ संगीत में बल्कि फिल्मों में अभिनय करने में भी परीपूर्ण थी। जिनमें से उनकी सबसे यादगार भूमिका फिल्म मीरा की है। जिसमें उन्होंने दिल को छू जाने वाला अभिनय किया था। इस फिल्म को तमिल और हिंदी में बनाया गया था। इसमें उन्होंने कई मशहूर मीरा भजन भी गए। कई संगीतकार तो उनकी गायिका के दिवाने थे और उनकी कला की तारीफ करते थे। लता मंगेशकर ने आपको तपस्विनी कहा। वहीं उस्ताद बड़े गुलाम अली खां ने आपको सुस्वरलक्ष्मी पुकारा।
वहीं किशोरी आमोनकर ने आपको ‘आठ्वां सुर’ कहा, जो संगीत के सात सुरों से ऊंचा है। भारत के कई माननीय नेता, जैसे महात्मा गांधी और पंडित नेहरु भी आपके संगीत के प्रशंसक थे। एक अवसर पर महात्मा गांधी ने कहा कि अगर श्रीमती सुब्बुलक्ष्मी ‘हरि, तुम हरो जन की भीर’ इस मीरा भजन को गाने के बजाय बोल भी दें, तब भी उनको वह भजन किसी और के गाने से ज्यादा सुरीला लगेगा। एम.एस.सुब्बालक्ष्मी को कला क्षेत्र में पद्म भूषण से 1954 में सम्मानित किया गया।
आप पहली भारतीय थी जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की सभा में संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किया था और पहली महिला थी जिनको कर्णाटक संगीत का सर्वोत्तम पुरस्कार, संगीत कलानिधि से सम्मानित किया गया था। 1998 में आपको भारत का सर्वोत्तम नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न सेै सम्मानित किया गया था। संयुक्त राष्ट्र संघ सुब्बुलक्ष्मी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में, एक डाक टिकट जारी किया गया था।