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कारगिल दिवस: जाने कैसे भारत ने चटाई थी पाकिस्तान को धूल

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नई दिल्ली। कारगिल का युद्ध भारत और पाकिस्तीन के बीच का ऐसा युद्ध था जिसे भूलाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। ये युद्ध 26 जुलाई 1999 में कश्मीर के कारगिल जिले में हुआ था। जिसमें पाकिस्तान की सैना और कश्मीर के उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की रेखा को पार कर भारत की सर जमीन पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश की थी। जो भारत को कभी मंजूर नहीं था। पाकिस्तान का कहना था कि युद्ध करने वाले सभी कश्मीर के उग्रवादी है लेकिन युद्ध में पाए गए दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के दिए बयानों से ये साफ हो गया था कि पाकिस्तानी सेना प्रत्यक्ष रूप से युद्ध में शामिल थी।

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बता दें कि इस युद्ध में लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और करीब 5,000 घुसपैठिए शामिल थे। भारतीय सेना और वायु सेना ने पाकिस्तान की उन जगाहों पर हमला किया जहाम पाक का कब्जा था और इसी तरह धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तानी सेना को सीमा के पार वापिस जाने के लिए मजबूर कर दिया था। कारगिल का ये युद्ध ऊचाई वाले इलाके पर हुआ था। जिसकी वजह से सैनिकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। परमाणु बम बनने के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच ये पहला युद्ध था।

वहीं पाकिस्तान में इस युद्ध से राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और नवाज की सरकार को हटाकर परवेज मुशर्रफ पाक के राष्ट्रपति बन गए। वहीं दूसरी तरफ भारत में इस युद्ध से देशप्रेम का उबाल देखने को मिला और भारत की अर्थ व्यवस्था को काफी मजबूती मिला भारतीय सरकार ने रक्षा बजट बढ़ाया। इस युद्ध पर कई फिल्में भी बनी जिनमें एल ओ सी कारगिल, लक्ष्य और धूप मुख्य फिल्में हैं।

कारगिल की जंग के बाद भारतीय सैनिको पर एक गीत भी बनाया गया ‘ऐ मेरे वतन के लोगों जरा याद करो कुर्बानी’ ये महज एक गाना ही नहीं बल्कि उन शहीदों की दास्तान है। जिन्होंने देश की रक्षा करने के लिए अपने प्राणों की बली दे दी। पूरा देश सुरक्षित रह सके इसीलिए भारतीय सैनिक सीमा पर जाग कर हमारी हिफाजत करते हैं। सैनिक सिर्फ हमारी हिफाजत ही नहीं करते बल्कि हमें सुरक्षित रखने के लिए अपने सीने पर गोलियां तक खाते हैं। 26 जुलाई का दिन भी जवानों की शहीदत की दास्तां बयान करता है। जिसे याद करते हुए आज पूरा देश शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा है और उनकी कुर्बानी याद कर रहा है।

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