गंगटोक। सिक्किम के नाथुला घाटी से होकर कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा संभवत: अब नहीं होगी क्योंकि 20 जून को गया यात्रियों का पहला जत्था वापस गंगटोक लौट आया है। तीर्थ यात्रियों के इस पहले जत्थे को भारत-चीन सीमा क्षेत्र नाथुला से टिबेटन अटोनामस रीजन (टार) में प्रवेश करना था लेकिन चीनी सरकार के अधिकारी तीर्थ यात्रियों को लेने नाथुला नहीं पहुंचे। इस कारण सभी तीर्थ यात्री गंगटोक लौट आए हैं।
भले ही तीर्थ यात्री कैलाश मानसरोवर नहीं पहुंच पाए, लेकिन सिक्किम सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से तीर्थ यात्रियों को सिक्किम के विभिन्न पर्यटकीय स्थलों का भ्रमण कराया जा रहा है। दूसरी ओर कैलाश मानसरोवर की यात्रा पूरा नहीं कर पाने के कारण तीर्थ यात्री असंतुष्ट है। तीर्थ यात्रियों के पहले जत्थे में राज्य सभा के सांसद नारायण लाल भी शामिल थे।
नाथुला से गंगटोक लौटे सांसद लाल ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि तीर्थ यात्रियों का पहला जत्था 20 जून को नाथुला पहुंचा था लेकिन चीनी अधिकारी वहां नहीं पहुंचे। तीर्थ यात्रियों को सीमा क्षेत्र नाथुला पर दो दिनों तक रखा गया। सांसद लाल ने कहा कि उन्होंने इस घटना की जानकारी भारत सरकार को भी दी।
भारत सरकार की ओर से भी काफी प्रयास किए गए लेकिन चीनी सरकार की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। उन्होंने इसे चीनी सरकार की ओर से अमानवीय घटना बताया। उन्होंने कहा कि वैध वीजा प्रदान करने के बाद भी तीर्थ यात्रियों को प्रवेश करने नहीं दिया गया। ऐसी घटना पहली बार हुई है। उन्होंने कहा कि चीनी सरकार ने नियमों का उल्लंघन किया है। उन्होंने जानकारी दी है कि नाथुला से तीर्थ यात्रा निरस्त कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि वह लिखित रूप में इस घटना की जानकारी भारत सरकार को भी देंगे। उन्होंने कहा कि सिक्किम सरकार ने तीर्थ यात्रियों को काफी सहयोग किया। पर्यटन विभाग की ओर से तीर्थ यात्रियों को घुमाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर तीर्थ यात्रा बंद होने के कारणों को लेकर आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाई है। उल्लेखनीय है कि नाथुला घाटी से वर्ष 2015 से कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा शुरू हुई है।