नई दिल्ली। भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के एक कार्यकारी जज के खिलाफ अवमानना की सुनवाई करेगा। बताया जा रहा है कि बुधवार को देश की सर्वोच्च अदालत कोलकाता हाईकोर्ट के जज सीएस करनन के खिलाफ अवमानना करने के मामले पर सुनवाई कर सकता है। बता दें कि गत दिनों जस्टिस करनन ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कई जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए इस मामले की जांच की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अवमानना मानते हुए करनन के खिलाफ सुनवाई का फैसला लिया।
मोदी को चिट्ठी
बता दें कि जस्टिस करनन ने 23 जनवरी 2017 को प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर नोटबंदी के फैसले पर उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि नोटबंदी से देश में भ्रष्टाचार कम हुआ है लेकिन न्यायपालिका में अब भी ब़ड़े स्तर पर मनमाने और बिना डर के भ्रष्टाचार हो रहा है। चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वर्तमान और पूर्व 20 जजों के नाम भी लिखे गए थे और कहा गया था कि इस मामले की जांच किसी एजेंसी के जरिए करवानी चाहिए।
विवादों से करनन का नाता
जस्टिस करनन का नाम विवादों में पहली बार नहीं आ रहा है बल्कि कई बार आ चुका है। उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कॉल समेत कई और जजों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की और आरोप लगाए। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई के कोलेजियम के उन्हें मद्रास से कोलकाता हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के फैसले पर खुद ही स्टे कर दिया था।
क्या कहता है नियम
गौरतलब है कि किसी भी हाईकोर्ट य़ा सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में एक प्रस्ताव पारित किया जाता है।
अगर दोनों सदनों में इस प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत मिल जाता है तो उस मामले पर आगे की कार्यवाही की जाती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले खुद ही सुनवाई का फैसला किया है।