नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड को भी दिवालिया प्रक्रिया में एक पक्षकार बनाने की इजाजत की मांग की है। फिलहाल अभी जेपी इंफ्राटेक ही दिवालिया प्रक्रिया का पक्षकार है। रिजर्व बैंक की मांग है कि जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड को भी दिवालिया घोषित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कल सुनवाई करेगा।
बता दें कि पिछले 15 दिसम्बर को जेपी समूह ने सुप्रीम कोर्ट में 150 करोड़ रुपये जमा किया था और सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि 125 करोड़ रुपये जमा करने के लिए एक महीने का समय दिया जाए। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 125 करोड़ रुपये 25 जनवरी तक जमा करने के निर्देश दिए थे। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेपी समूह के निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को बिना कोर्ट की अनुमति के अपनी व्यक्तिगत संपत्ति बेचने से मना कर दिया था। जेपी समूह द्वारा दो हजार करोड़ रुपये न जमा कर पाने की स्थिति में कोर्ट ने उन्हें किश्तों में रकम जमा करने का निर्देश दिया था।
वहीं कोर्ट ने कहा था कि वो 22 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में 275 करोड़ रुपये जमा कराए। 10 दिसम्बर तक 150 करोड़ और 31 दिसम्बर तक 125 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराएं। मंगलवार को जेपी समूह ने 275 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट में जमा कराए। कोर्ट ने सभी निदेशकों को 10 जनवरी को कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई जेपी समूह में निवेश किया जिससे कंपनी रियल एस्टेट क्षेत्र में सबसे ऊपर पहुंच गई लेकिन अब उसे निवेशकों के पैसे चुकाने के लिए नीचे आना होगा।
साथ ही पिछले 13 नवम्बर को जेपी समूह द्वारा दो हजार करोड़ रुपये जमा नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने जेपी समूह को फटकार लगाते हुए इसके निदेशकों को तलब किया था। सुनवाई के दौरान जेपी समूह ने कहा था कि वे दो हजार करोड़ रुपये का इंतजाम नहीं कर सकते हैं। वे सात सौ करो़ड रुपये दे सकते हैं। इससे कोर्ट ने नाराजगी जताई। पिछले 06 नवम्बर को जेपी समूह ने कहा था कि वो फिलहाल 400 करोड़ रुपये ही जमा कर पाएगी तो सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप कम से कम अपनी विश्वसनीयता साबित करने के लिए एक हजार करोड़ रुपये जमा कीजिए।
इतना ही नहीं पिछले 18 सितम्बर को जेपी समूह के करीब चार सौ फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया और मांग की कि उपभोक्ता कानून के तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान दी जाए। इन फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि जेपी एसोसिएट्स की संपत्ति को जेपीइंफ्राटेक को ट्रांसफर किए जाने के मामले की जांच की जाए।