जगदलपुर। बदहाली से बेहाल छत्तीसगढ़ के किसानों को यहां मजदूरों की तरह जिंदगी जीने पर मजबूर होना पड़ रहा है। राज्य के जगदलपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर कोसारटेडा बांध पिछले 9 वर्षों से अस्तितव में है, लेकिन इस बांध को बनाने के लिए अपनी जमीन सरकार को देने वाले किसानों को मदजूरों की तरह जिंदगी बिताने पर मजबूर होना पड़ रहा है। यहीं नहीं यहां के किसान जो अब मजदूर बन चुकें है वो अब दूसरों के लहलहाते खेतों को देखकर हाय भरते हुए साफ तौर पर नजर आ जाते हैं।
जानकारी के मुताबिक कोसारटेड़ा बांध परीयोजना के लिए 15 साल पहले यहां के किसानों से उनकी जमीन को सरकार ने ले लिया था। हालांकि सरकार ने इसके लिए उन्हें भत्ता दिया था, लेकिन वो भत्ता भी आखिर कितने दिन तक चलेगा। भत्ता खत्म होने के बाद यहां के किसानों को मजदूर बनकर अपनी जिंदगी का लालन-पालन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
जब इस बांध के बारे में अंचल के किसानों से पूंछा गया तो उन्होंने बताया कि हमने तो अपनी जमीन इसलिए दे दी थी, क्योंकि हमे लगा था कि इस बांध से आने वाले समय में हमारी जिंदगी खुशहाली से बीतेगी, लेकिन हमे क्या पता था कि ये बांध हमारी खुशियों पर ही ताला लगा देगा। गौरतलब है कि 9 साल बीतने के बाद भी 1000 के करीब किसान परिवारों को अभी-तक उनका भत्ता तक भी नहीं मिला है। इन किसानों को अन्य स्थानों पर शासन द्वारा पांच एकड़ जमीन खेती और रहने के लिए जगह दिये जाने का आश्वसन मिला था लेकिन आज भी वे भूमि प्राप्त नहीं कर सके हैं।
इस संबंध में पीड़ित किसानों ने बताया कि साल 2009 में उन्होंने मुआवजा जब तक नहीं मिलता तब तक अपनी जमीन नहीं छोड़ने का प्रण किया था लेकिन प्रशासकीय अमलों ने उनकी जमीन बल पूर्वक छीन ली थी। उसके बाद उन्हें केवल आश्वासन ही मिला लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस संबंध में उन्हें आज भी शासन से अपनी जमीन प्राप्त करने की उम्मीद है और आशा है कि आज नहीं तो कल उन्हें शासन के आश्वासन के अनुरूप जमीन मिल जाएगी। इस संबंध में जलसंसाधन विभाग के सूत्रों का कहना है कि बांध प्रभावितों को जमीन मिल जाने की जानकारी उनके पास है और किसे नहीं मिली उसकी जानकारी अभी प्राप्त नहीं पाई है।