नई दिल्ली। आपको जानकर हैरानी होगी कि अब पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में रहने वाले हिंदुओ के लिए अच्छी खबर है। खबर के मुताबिक इस्लामाबाद में पहला मंदिर बनेगा। इसके लिए बकायदा फरमान भी जारी हो गया है।
मंदिर बनाने का फैसला पाक नेशनल असेंबली की धार्मिक मामलों की स्थाई समिति ने लिया है। समिति के संयोजक रमेश लाल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में एक शवदाह गृह बनाने का भी फैसला लिया गया।
अब तक क्यों नहीं बना मंदिर
इससे पहले भी इस्लामाबाद में कई मंदिर बनाने के प्रयास हुए हैं लेकिन सुरक्षा कारणों की वजह से हर बार इसे नकार दिया जाता था। लेकिन सोमवार हुई एक संसदीय कमेटी ने सरकार को हिंदुओं के लिए यहां एक मंदिर और श्मशान बनाने का निर्देश देते हुए इस धारणा को खारिज कर दिया कि देश के अल्पसंख्यक समुदाय के लिए धार्मिक स्थल का निर्माण किया जाता है तो इससे सुरक्षा का गंभीर मसला पैदा होगा।
इस्लामाबाद में कितने हिंदू रहते हैं
डॉन अखबार के मुताबिक कमेटी सदस्यों के लिए यह हैरान करने वाली बात रही कि राजधानी में हिंदू समुदाय के लिए श्मसान नहीं है। कमेटी को बताया गया कि इस्लामाबाद में पंजीकृत तौर पर कम से कम 500 हिंदू रहते हैं और मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें रावलपिंडी जाना पड़ता है। बता दें पाकिस्तान में हिंदुओं और ईसाइयों की जनसंख्या मात्र तीन फीसद है।
सांसद रमेश लाल ने क्या कहा
सांसद रमेश लाल ने कहा, यह आश्चर्यजनक और दुखद है कि हिंदू समुदाय को पूजा के लिए इस्लामाबाद में एक भी मंदिर नहीं है। धार्मिक मामलों पर नेशनल एसेंबली की एक कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने यह बात कही। सांसद ने मंदिर को हिंदुओ का मूल अधिकार बताते हुए कहा कि “सरकार होटलों और रेस्त्राओं को सुरक्षा दे रही है तो एक मंदिर को क्यों नहीं दी सकती ?”