मोसुल। इराक के मोसुल शहर में इस्लामिक स्टेट (आइएस) के लड़ाकू बच्चों को निशाना बना रहे हैं ताकि मोसुल में फंसे नागरिक वहां से भागकर नहीं जा सकें। यह जानकारी गुरुवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
बता दें कि अमेरिका के नेतृत्व में इराकी सेना देश में आईएस को उसके आखिरी मजबूत गढ़ से खदेड़ने में जुटे हैं। यही वजह है कि जिहादी आम लोगों को अपनी ढाल बनाने के लिए उनके बच्चों को निशाना बना रहे हैं।
उधर, यूनिसेफ ने कहा कि उनके पास ऐसे कई मामलों का ब्यौरा है जिनमें आईएस के लड़ाकों ने उन परिवारों के बच्चों की हत्या की जो आतंकवादियों के नियंत्रण वाले निकटवर्ती इलाकों से बाहर भागने की कोशिश कर रहे थे।
साथ ही इराक में यूनिसेफ के प्रतिनिधि पीटर हॉकिन्स ने कहा कि लोगों को वहां से भागने से रोकने के लिए वे बच्चों का इस्तेमाल युद्ध के हथियार के तौर पर भी कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि यह युद्ध कितना विवेकहीन और विनाशकारी है।
वहीं बावजूद इसके इराकी सेना धीरे-धीरे आईएस लड़ाकों को मोसुल शहर से खदेड़ने में जुटे हैं, लेकिन करीब 100,000 नागरिकों के घने इलाकों में मौजूद होने के कारण अभियान की गति धीमी पड़ गई है।
यूनिसेफ के अनुसार, साल 2014 में आईएस आतंकवादियों के इराक के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा के बाद से करीब 1,075 बच्चों की हत्या की गई है और 1,130 बच्चे घायल हुए। पिछले छह माहीने में हुई हिंसा में 152 बच्चे मारे गए और 255 घायल हुए। सैन्य शासन या विस्थापन के कारण 10 लाख से अधिक बच्चों को अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ी है।
यूनिसेफ ने आगे कहा कि बच्चों पर हिंसा में शामिल होने का भी दबाव बनाया जाता है। 18 साल से कम आयु के कम से कम 231 बच्चे आईएस या अन्य सैन्य समूह ने भर्ती हुए हैं।