नई दिल्ली। देश की शीर्ष आईटी कंपनियों में से एक इंफोसिस टेक्नालॉजीज़ के संस्थापकों के कंपनी से हिस्सेदारी बेचने की खबर का इंफोसिस प्रबंधन ने खंडन किया है।
कंपनी प्रबंधन ने एक बयान जारी करते हुए कहा- ‘ इंफोसिस अपने संस्थापकों के कंपनी हिस्सेदारी बेचने की खबरों का खंडन करती है। इन कयासो को कंपनी संस्थापक पहले ही नकार चुके हैं। कंपनी ने कहा कि इस तरह के किसी भी कदम की उन्हें जानकारी नहीं है।
हम मीडिया से अपील करते है कि इस तरह की खबरों को तूल ना दें, क्योंकि ऐसी खबरें कंपनी और शेयरहोल्डर्स के हितों को हानि पहुंचा सकती हैं।’
बताते चलें कि विप्रो के बाद अब इंफोसिस संस्थापकों के कंपनी से हिस्सेदारी बेचने की खबरें आने लगी। इंफोसिस को 1981 में नारायण मूर्ति, नंदन नीलकेर्णी, क्रिस गोपालकृष्णन, एसडी शिबूलाल और के दिनेश ने मिलकर बनाया था। 1993 में इंफोसिस लिस्टेट हुई। हाल ही में विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी और उनके परिवार के कंपनी से हिस्सेदारी बेचने की खबरें आईं थीं।
दरअसल पिछले तीन साल से कंपनी प्रबंधन और संस्थापकों के बीच तनातनी की खबरें आ रहीं थी। नारायण मूर्ति पहले ही कंपनी सीईओ विशाल सिक्का सहित इंफोसिस के उच्चाधिकारियों के करोड़ों रुपये के वेतन को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
आखिर क्यों बेचना चाहते हैं अपनी हिस्सेदारी
फाउंडर्स इंफोसिस के पिछले 3 साल के प्रदर्शन से नाखुश हैं। फाउंडर्स, मैनेजमेंट और बोर्ड के कामकाज से संतुष्ट नही हैं। फरवरी में विशाल सिक्का और नारायण मूर्ति में विवाद सामने आया था।