नई दिल्ली। इंडिगो एयरलांइस ने गुरुवार को यह साफ कर दिया कि उसकी दिलचस्पी एयर इंडिया के पूरे व्यापार को खरीदने में हर्गिज नहीं हैं। यदि सरकार चाहें तो भी वह एयर इंडिया का पूरा व्यापार खरीदने को इच्छुक नहीं हैं। उन्हें बस कंपनी के अंतर्राष्ट्रीय ईकाई और कम लागत वाली ईकाईयों में ही दिलचस्पी है।
कंपनी के प्रमोटर राकेश गंगवाल ने बताया कि एयर इंडिया के सभी दायित्वों के अधिग्रहण में हम असमर्थ हैं क्योंकि किसी एक कंपनी के द्वारा एयर इंडिया का उसके सभी सहायक कंपनियों के द्वारा अधिग्रहण करना एक असंभव-सी बात होगी ।
उन्होंने कहा कि कंपनी के लिए यह सही समय होगा जब वह लंबी दूरी की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी उपस्थिती दर्ज कराए। इसमें चाहें एयर इंडिया हमारे साथ हो अथवा नहीं। कंपनी भारत को सस्ते अंतर्राष्ट्रीय सेवाओं का नया बाजार दे सकती है एवं एयर इंडिया की भागीदारी इसमें काफी सहायक सिद्ध होगी।
एक समय में भारत की सबसे बड़ी विमान सेवा प्रदाता कंपनी एयर इंडिया आज भारतीय एयरलाइंस बाजार को महज 13 प्रतिशत का व्यापार देती है। निजी विमान सेवा प्रदाता जैसे इंडिगो, स्पाइसजेट ने अपनी सस्ती सुविधाओं से प्रतिस्पर्धा को और कड़ा बना दिया है।
वर्तमान में एयर इंडिया पर 52,000 करोड़ का ऋण है। जिसमे 28,000 करोड़ का ऋण कार्यशील पूंजी के रुप में है। वही महज 4,000 करोड़ का तो ऋण पर ब्याज है। कंपनी ने पिछले दस वर्षो में लाभ नहीं कमाया है।