नई दिल्ली। भारत और रूस का याराना बेहद ही पुराना है। दोनों देशों की दोस्ती से पूरा विश्व वाकिफ है, जब-जब भारत किसी परेशानी में आया है रूस ने हमेशा मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। अब तो दोस्ती के रिश्ते में सब कुछ ठीक था लेकिन अब दोस्ती में दरार आने वाली है। दरअसल चीन, रूस से दोस्ती बढ़ा रहा है जिसको लेकर भारत ने कड़ा रुख अख्तियार किया है।
विदेशी कार्यक्रम में नहीं करेगा सहयोग
चीन से बढ़ रही नजदीकियों के बीच भारत ने स्पष्ट कह दिया है अगर भारत को एनसीजी की सदस्यता नहीं पाती है तो वो परमाणु विकास के कार्यक्रम में विदेशी सहयोग करना बंद कर देगा। अगर भारत इस कार्यक्रम में रूस का सहयोग नहीं करता है तो इसका असर कुडनकुलम में रूस के साथ चल रही 5वीं और छठी रियेक्टर यूनिट को विकसित करने से जुड़े हुए समझौते पर पड़ सकता है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक भारत को लगा रहा है चीन और रूस पास आ रहे हैं और लगातार पास आ रहे हैं जो उसके लिए खतरा साबित हो सकते हैं। भारत को ऐसा भी लग रहा है यही कारण है कि रूस इन्हीं कारणों से एनएसजी की सदस्यता दिलवाने में अपनी ताकत का सही इस्तेमाल नहीं कर रहा है।
हाल ही में भारत दौरे पर आये रूस के उपप्रधानमंत्री दिमत्री रोगोजिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस मुद्दे को उठाया था। लेकिन भारत की ओर से इस पर कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।