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18 साल बाद भारत से पाक ने फिर खाई अपने मुंह की

WW 18 साल बाद भारत से पाक ने फिर खाई अपने मुंह की

अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत ने एक बार फिर पाक को उसी के मुंह की खाने पर मजबूर कर दिया। पाक को 18 साल बाद भारत से करारी हार का सामना करना पड़ा। कुलभूषण जाधव मामले में हेग स्थ‍ित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान के दावों को खारिज करते हुए जाधव की फांसी पर रोक लगा दी। पाकिस्तान के दावों को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने खारिज कर दिया। भारत ने जाधव मामले को 8 मई को ICJ में रखा था और तीन दिन पहले कोर्ट ने भारत और पाकिस्तान की दलीलों को सुना था और उसके बाद अपना फैसला सुनाया।

WW 18 साल बाद भारत से पाक ने फिर खाई अपने मुंह की

इससे पहले सन 1999 में हुआ था पाक भारत का आमना-सामना

बता दें कि इससे पहले 10 अगस्त 1999 को पाकिस्तानी नौसेना का टोही विमान भारतीय क्षेत्र में घुस आया था, जिसे भारतीय वायुसेना ने मार गिराया था। इस घटना में विमान में सवार 16 पाकिस्तानी नौसैनिकों की मौत हो गई थी। जिसके लिए पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय अदालत गया था। हालांकि अंतरराष्ट्रीय अदालत ने यह कहते हुए इसमें दखल देने से मना कर दिया था कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

पाक ने यबारत से मांगा था मुआवजा

PAK का दावा था कि भारत ने उसके वायुक्षेत्र में इस विमान को मार गिराया है। उसने इस नुकसान के एवज में छह करोड़ रुपये डॉलर के मुआवजे की मांग की थी। हालांकि अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। लिहाजा वह इस पर दखल नहीं देगा। अदालत की 16 जजों की पीठ ने 21 जून 2000 को 14-2 से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया।

खत्म हुई जाधव मामले

नीदरलैंड के हेग की अंतररार्ष्ट्रीय अदालत में कुलभूषण जाधव मामले पर सुनवाई खत्म हो गई है और कोर्ट ने जाधव की फांसी पर रोक लगाते हुए अपना फैसला सुना दिया। पाक के वकीलों ने जाधव पर आतंकवाद के आरोपों को जायज ठहराते हुए फांसी के फैसले को जायज ठहराया। जबकि कोर्ट ने इस आरोप को नाजायज करार देते हुए इस पर रोक लगा दी। पाकिस्तान ने इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय अदालत को अधिकार क्षेत्र चुनौती देते हुए कहा कि ये मामला विएना संधि के अंदर नहीं आता है। अदालत ने फैसले की तारीख जल्द तय करने की बात कही है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने पूर्व नौसैनिक अधिकारी से राजनयिक से मिलने के लिए 16 बार आवेदन किया, लेकिन उसने खारिज कर दिया, जो विएना संधि का खुला उल्लंघन है।

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