बलरामपुर। नेपाल में लगातार हो रही बारिश व सीमावर्ती जिलों में रूक-रूक कर हो रही वर्षा के कारण राप्ती नदी व पहाडी नाले उफान पर है। राप्ती नदी का जलस्तर लगातार घटने बढ़ने से नदी के तटवर्ती इलाकों में कटान तेज हो गई है। कटान तटवर्तीय इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों में दहशत है। पहाडी की कटान के बाद आने वाली बाढ़ की सम्भावनाओं को लेकर ग्रामीणों की धड़कने तेज हो गई है। नदी के तटवर्ती इलाकों में बाढ़ के खौफ से ग्रामीण अपने आशियानें खुद उजाड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
ये नजार यूपी के बलरामपुर का राप्ती नदी के तटवर्तीय इलाके के गांव टेंगनहिया मानकोट का है। इस गांव में कभी 100 परिवारों के आशियाने हुआ करते थे लेकिन हर साल यहां के ग्रामीणों के लिए आने वाली बाढ़ काल के रूप में बनकर आती है और देखते ही देखते नदी के कटान में घर नदीयों में समा गए और अब गांव में बचें है तो सिर्फ 9 घर जो अपने ही हाथों से अपना आशियाना उजाड़ने को मजबूर हो रहे है। कुदरत ने भी इनके साथ अजीब खेल खेला हैं। आशियाने के साथ-साथ रोजी रोटी का एक मात्र साधन खेत ही दचा था, वो भी नदी के कटान की धारा में समाते चले गए। जो आशियाने नदी में समाए है उनके परिवार कहां गए इस बारे में तो ये गांव वाले भी नही जानते।
जो जहां भी अपने जीने का रास्ता ढूंढ पाया वो उस जगहा पर चला गया। अब रही बात इन 9 परिवारों की जो कटान की चपेट में आने वाले अपने आशियाने को खुद उजाड़ने को मजबूर हैं। इन परिवार की न तो प्रशासन ने सुध ली और न ही जन प्रतिनिधियों ने। खुद अपने हाथों से अपनी तकदीर पर भरोसा कर भगवान के चमत्कार की आस में अपना दिन काटने को मजबूर है। यही स्थिति जिले की राप्ती नदी के सीमावर्ती दर्जनों गांव वासीयों की है। श्रीदत्तगंज जिले के ग्राम चंदापुर में विगत कई वर्षों से कटा-बंधा शासन-प्रशासन की लापरवाही से बांध अभी तक नही बन सका है। बांध के पास ही पचैथा सहित आधा दर्जन गांव पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। पचैथा के पास बना बाढ़ रोकने वाला बांध भी अब कटान की चपेट में आ गया है जिससे दुल्हा मझारी, बम्बाडीह, लखमा, नन्दमहरा, भगनाजोत, आदि गाँव की कई हजार की आबादी के ग्रामीणों पर राप्ती नदी का कहर बढ़ता जा रहा हैं। यदि बांध कटा तो राप्ती का पानी कई गांव के लिए कहर बन जाएगा।